उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस बल को सशक्त और आधुनिक बनाने के लक्ष्य के साथ देश की सबसे बड़ी आरक्षी भर्ती प्रक्रिया को ऐतिहासिक सफलता के साथ संपन्न किया है। यह वही परीक्षा है, जिसे पेपर लीक के कारण एक बार स्थगित करना पड़ा था। मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इसे चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए दोबारा बेहद पारदर्शी और हाईटेक प्रक्रिया से आयोजित किया।
कठिन थी ये परीक्षा
इस भर्ती के लिए कुल 48.17 लाख आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 15.49 लाख महिलाएं थीं। लिखित परीक्षा पांच दिन में दस शिफ्टों में कराई गई, और ओएमआर शीट्स की स्कैनिंग सीसीटीवी निगरानी में हुई। 1.74 लाख अभ्यर्थियों को अगले चरण के लिए अर्ह घोषित किया गया।
दस्तावेज सत्यापन, शारीरिक मानक परीक्षण और दौड़ 75 जिलों व 12 पीएसी बटालियनों में आरएफआईडी तकनीक से पूरी की गई। 13 मार्च को 60,244 चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की गई।
कल दी जाएगा नियुक्ति
सरकार ने प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के लिए डबल लॉक स्ट्रॉंग रूम, 24 घंटे सीसीटीवी निगरानी, बायोमेट्रिक व फेस रिकग्निशन, रियल टाइम आधार सत्यापन जैसे तकनीकी उपाय अपनाए। परीक्षा केंद्र चयन भी बेहद सतर्कता से किया गया, संदिग्ध केंद्रों को पूरी तरह बाहर रखा गया।
यह पूरी प्रक्रिया उत्तर प्रदेश के हर जिले तक पहुंची। सबसे ज़्यादा चयन आगरा (2,349) और सबसे कम श्रावस्ती (25) से हुए। साथ ही अन्य राज्यों से भी 1,145 अभ्यर्थी चुने गए। अब रविवार को आरक्षी नागरिक पुलिस सीधी भर्ती के 60,244 चयनितों को नियुक्ति पत्र वितरित किया जाएगा। यह भर्ती प्रक्रिया “सबका साथ, सबका विकास” के विजन की जीती-जागती मिसाल बन चुकी है।