यूपी की सियासत में एक मुख्यमंत्री ऐसे भी हुए, जिन्हें शपथ ग्रहण से पहले लखनऊ पुलिस 2 घंटे तक तलाश करती रही। वह कहां रहते हैं, ये किसी को पता नहीं था। घर मिलने के बाद उन्हें दिल्ली लाया गया। दिल्ली पीएम आवास में मौजूद कई नेता और पत्रकार यूपी के नए सीएम को पहचान ही नहीं पाए। भाजपा अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे ने उनका परिचय कराते हुए कहा- ये हैं राम प्रकाश गुप्ता, जो कल्याण सिंह की जगह नए सीएम होंगे। ये वो दौर था, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके एक महीने बाद भाजपा में उत्तर प्रदेश की सियासत में कल्याण सिंह को हटाने का बड़ा फैसला लिया। कल्याण सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी अच्छे दोस्त थे। फिर भी कल्याण सिंह सीएम पद से हटाने का फैसला लेना पड़ा।
कल्याण सिंह यूपी के बड़े नेता थे
राम प्रकाश गुप्ता के सीएम बनने की कहानी अटल बिहारी वाजपेयी और कल्याण सिंह की अनबन से शुरू होती है। साल 1999 में कल्याण सिंह यूपी में मुख्यमंत्री थे। अटलजी और कल्याण सिंह दोनों की राजनीति आरएसएस और जनसंघ के वक्त से साथ-साथ चल रही थी। भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी ब्राह्मण चेहरा थे, वहीं कल्याण सिंह पिछड़े वर्ग का चेहरा थे। पार्टी में दोनों की दोस्ती चर्चित थी। कल्याण सिंह यूपी के बड़े नेता थे, लोग उन्हें हिंदू हृदय सम्राट कहते थे। अटल राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के बड़े नेता बन चुके थे। मगर एक वक्त पर दोनों के बीच अनबन हो गई। कल्याण सिंह ने नाराज होकर 1999 के लोकसभा चुनावों में भाजपा नेतृत्व को यूपी जीतने का चैलेंज दे डाला। इसके बाद भाजपा दो धड़ों में बंट गई। लोकसभा चुनाव 1999 की तारीखों का ऐलान हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी और कल्याण सिंह के बीच शुरू हुई अनबन ने हवा का रुख बदल दिया। भाजपा को कल्याण सिंह के चैलेंज का नुकसान उठाना पड़ा। 1999 में भाजपा को यूपी में सिर्फ 29 सीटों पर जीत मिलीं। जबकि 1998 चुनाव में भाजपा ने यूपी में 58 सीटें जीती थीं। ऐसी चर्चा थी कि कल्याण सिंह सीएम थे और उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को पीएम बनने से रोकने के लिए वोटिंग के दिन प्रशासनिक सख्ती के आदेश भी दे दिए थे।
राजनाथ सिंह की ताजपोशी करना चाहते हैं
यूपी में कल्याण सिंह सरकार में कलराज मिश्र और लालजी टंडन मंत्री थे। दोनों अटल के फेवर में थे। इन दोनों नेताओं ने लोकसभा चुनाव के पहले ही कल्याण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। जैसे ही अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, भाजपा ने कल्याण सिंह को हटाने का फैसला कर लिया। 10 अक्टूबर, 1999 को अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इस दौरान पीएम अटल ने कल्याण सिंह को फोन किया। लेकिन, कल्याण ने फोन रिसीव नहीं किया। तब 10 नवंबर की देर रात प्रधानमंत्री आवास में उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई। इसमें कल्याण सिंह अगले सीएम चेहरे पर चर्चा होने लगी। कल्याण सिंह की जगह सीएम पद की रेस में कलराज मिश्र, लालजी टंडन प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। चर्चा थी कि वाजपेयी खुद तत्कालीन यूपी के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजनाथ सिंह की ताजपोशी करना चाहते हैं। इधर, मुरली मनोहर जोशी किसी ब्राह्मण चेहरे को सीएम बनाना चाहते थे। लेकिन, कल्याण सिंह का पिछड़ा कार्ड का दांव ऐसा रहा कि तीनों सवर्ण नेताओं के सीएम बनने पर ग्रहण लग गया। पीएम आवास में की गई बैठक में पीएम वाजपेयी के अलावा तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे, केंद्रीय गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी मौजूद थे। इस बैठक में ऐसे शख्स के नाम पर मुहर लगी, जो राजनीति में लगभग लापता थे। पार्टी ने फैसला लिया कि लंबे समय से पार्टी से जुड़े 76 साल के रामप्रकाश गुप्ता को यूपी का अगला सीएम बनाया जाएगा। राम प्रकाश को दिल्ली तलब किया गया। लेकिन किसी को पता नहीं था कि राम प्रकाश गुप्ता लखनऊ में कहां रह रहे हैं? कहा जाता है कि तब लखनऊ पुलिस को रामप्रकाश का घर ढूंढने में 2 घंटे से ज्यादा समय लग गया। 11 नवंबर को राम प्रकाश दिल्ली पहुंचे। यहां पीएम आवास की लॉन में गुनगुनी धूप में खड़े राम प्रकाश को कोई नहीं पहचान पाया। बाद में भाजपा अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे ने ऐलान किया कि ये रामप्रकाश गुप्ता हैं। यही वो शख्स है, जो कल्याण सिंह की जगह लेने जा रहे हैं। इसके एक दिन बाद यानी 12 नवंबर, 1999 को राम प्रकाश ने यूपी के 19वें मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली।
यूपी सरकार की समीक्षा कर ली
राम प्रकाश गुप्ता हमेशा गुमनाम ही रहे। भाजपा ने उन्हें जो जिम्मेदारी दीं, वो उन्हें निभाते रहे। सीएम बनने के बाद करीब 6 महीने का समय बीता होगा। तब अटलजी के घुटने का ऑपरेशन हुआ था। इस दौरान मुलायम सिंह यादव उनसे मिलने दिल्ली पहुंचे। अटलजी ने मुलायम सिंह से बातचीत के दौरान यूपी सरकार की समीक्षा कर ली। उन्होंने मुलायम सिंह से पूछ लिया कि प्रदेश में सरकार का काम कैसा चल रहा है? मुलायम सिंह ने जवाब देते हुए राम प्रकाश गुप्ता की जमकर सराहना कर दी। वो बोले- राम प्रकाश गुप्ता जैसी सरकार कोई चला ही नहीं सकता। अटलजी राजनीति में मंझे हुए खिलाड़ी थे। वह भांप गए कि स्थिति विपरीत है। हुआ भी यही, राज्यसभा चुनावों में पार्टी हार गई। विधान परिषद चुनावों में पूर्व पीएम लालबहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री को भी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद पार्टी नेतृत्व ने राम प्रकाश गुप्ता को दिल्ली तलब किया। फैसला लिया गया कि अब उनकी जगह तत्कालीन केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री राजनाथ सिंह को सीएम बनाया जाएगा। करीब एक साल सीएम रहने वाले राम प्रकाश गुप्ता ने 28 अक्टूबर 2000 में अपना इस्तीफा दे दिया और राजनाथ सिंह प्रदेश के नए सीएम बन गए। फिलहाल…राम प्रकाश गुप्ता अब इस दुनिया में नहीं हैं। 1 मई 2004 को उनका देहांत हो गया। जिस वक्त निधन हुआ, उस वक्त वह मध्य प्रदेश के राज्यपाल थे।