उत्तर प्रदेश के मौजूदा पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। ऐसे में पूरे राज्य की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या उन्हें सेवा विस्तार मिलेगा या फिर कोई नया चेहरा यूपी पुलिस की कमान संभालेगा। प्रशांत कुमार को यदि सेवा विस्तार नहीं दिया जाता, तो उनके बाद कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ऐसे हैं जो इस पद के दावेदार माने जा रहे हैं।
ये तीन अफसर रेस में सबसे आगे
सबसे प्रमुख नामों में राजीव कृष्ण, बीके मौर्य और तिलोत्तमा वर्मा जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
राजीव कृष्ण 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उनके पास कानून-व्यवस्था संभालने का लंबा अनुभव रहा है और वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसेमंद अधिकारियों में माने जाते हैं।
बीके मौर्य, जो कि डीजी स्तर के अधिकारी हैं, भी एक अनुभवी और प्रशासनिक दृष्टि से मजबूत अधिकारी माने जाते हैं। वे फिलहाल महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और उनका नाम सामाजिक व राजनीतिक समीकरणों की दृष्टि से भी उपयुक्त माना जा रहा है।
तिलोत्तमा वर्मा, जो राज्य की पहली महिला डीजीपी बन सकती हैं, यदि नियुक्त की जाती हैं, तो यह उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास में एक नया अध्याय होगा। वह 1987 बैच की अधिकारी हैं और उनके पास भी विविध प्रशासनिक अनुभव है।
ऐसे होता है निर्णय
हालांकि, यह निर्णय केवल वरिष्ठता पर आधारित नहीं होता। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताएं, केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय, और वर्तमान राजनीतिक समीकरण इस नियुक्ति में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। प्रशांत कुमार की कार्यशैली मुख्यमंत्री को पसंद है, और ऐसे में उन्हें सेवा विस्तार देने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि 31 मई के बाद यूपी पुलिस को नया डीजीपी मिलता है या पुराने को ही एक बार फिर कमान सौंपी जाती है। निर्णय चाहे जो भी हो, यह न केवल प्रशासनिक बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।