उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित बिकरू कांड में फंसे चौबेपुर थाने के तत्कालीन प्रभारी विनय तिवारी को करीब 5 साल बाद हाईकोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई है। यह वही मामला है जिसमें 2 जुलाई 2020 को कानपुर देहात के बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस टीम पर कुख्यात अपराधी विकास दुबे और उसके साथियों ने हमला कर दिया था। इस हमले में एक क्षेत्राधिकारी समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे और कई घायल भी हुए थे।
इस मामले में गए थे जेल
जानकारी के मुताबिक, विनय तिवारी पर आरोप था कि उन्होंने दबिश की जानकारी पहले ही विकास दुबे को दे दी थी। इसी आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर माती जेल में भेज दिया गया था। इस केस में पुलिस ने 102 गवाहों की लिस्ट चार्जशीट में जोड़ी थी, लेकिन अब तक सिर्फ 13 गवाहों का ही बयान दर्ज हो पाया है।
विनय तिवारी के वकील शैलेन्द्र कुमार तिवारी ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की और तर्क दिया कि जांच में अब तक ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, जिससे यह साबित हो सके कि विनय तिवारी ने अपराधियों को किसी तरह की जानकारी दी थी। वकील की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने विनय तिवारी को सशर्त जमानत देने का आदेश दिया।
पांच साल बाद मिली राहत
अदालत ने उन्हें दो-दो लाख रुपये के दो बेल बॉन्ड भरने का निर्देश भी दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद विनय तिवारी की जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि मामला अभी न्यायिक प्रक्रिया में है, लेकिन पांच साल से जेल में बंद थानाध्यक्ष को यह बड़ी राहत मानी जा रही है।