“Sambhal Police पर 2-3 हजार उपद्रवियों ने किया था हमला”, ओवैसी के आरोपों पर SP का कड़ा जवाब

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बीती साल उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुई हिंसा के बाद मुस्लिम समुदाय के पलायन की खबरों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस संबंध में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपने X हैंडल पर पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने मुस्लिम समुदाय के पलायन का मुद्दा उठाया। इस पर संभल पुलिस ने आधिकारिक बयान जारी कर इन दावों को गलत बताया है।

असदुद्दीन ओवैसी ने किया था पोस्ट

जानकारी के मुताबिक, असदुद्दीन ओवैसी ने पोस्ट करते हुए लिखा था कि, संभल में इतना डर और ज़ुल्म का माहौल बना दिया गया है कि लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। सरकार को संभल के मुसलमानों को निशाना बनाना और उन्हें इज्तिमाई सज़ा देना बंद करना होगा, जल्द से जल्द एतिमाद-साज़ी के क़दम उठाए जाने चाहिए। मोदी और भाजपा ने बार-बार झूठी अफ़वाह फैलाई थी कि कुछ इलाकों में हिंदू समाज का ‘पलायन’ हो रहा था, हर बार वह बात झूठी साबित हुई थी। यहाँ तो पुलिस और प्रशासन यह बात ख़ुद मान रहे हैं कि मुसलमानों को जबरन पलायन हो रहा है, तो फिर सरकार चुप क्यों है?

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संभल में हालात सामान्य

संभल के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कृष्ण कुमार विश्नोई ने बहजोई स्थित अपने कार्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान स्पष्ट किया कि 24 नवंबर को हुई हिंसा में लगभग 2,500 से 3,000 लोग शामिल थे। इस हिंसा के दौरान पुलिस पर पथराव, फायरिंग और अन्य प्रकार से हमले किए गए थे। उन्होंने बताया कि अब तक इस मामले में 79 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। साथ ही, कुछ संदिग्ध लोगों के पोस्टर चस्पा किए गए हैं और उनकी यूनिक तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर साझा की गई हैं।

एसपी ने किया खंडन

एसपी विश्नोई ने आगे कहा कि जो लोग हिंसा में शामिल थे, वे खुद को बचाने के लिए क्षेत्र से गायब हो सकते हैं, लेकिन इसे पलायन नहीं कहा जा सकता। वर्तमान में स्थिति पूरी तरह सामान्य है। सभी बाजार और दुकानें खुली हुई हैं, स्कूल-कॉलेज नियमित रूप से संचालित हो रहे हैं और आम नागरिक बिना किसी भय के अपने रोजमर्रा के कार्य कर रहे हैं।

पुलिस अधीक्षक ने यह भी स्पष्ट किया कि हिंसा में शामिल 3,000 लोगों में से अब तक केवल 79 को गिरफ्तार किया गया है, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि और भी कई लोग इस घटना में शामिल रहे होंगे। उन्होंने कहा कि जो लोग इस हिंसा में संलिप्त थे और जिनके फोटो व पोस्टर सार्वजनिक किए गए हैं, वे ही संभवतः क्षेत्र से गायब हैं।

हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि आम जनता में किसी भी प्रकार का डर या असुरक्षा की भावना नहीं है। उन्होंने कहा कि अपराधियों में पुलिस का भय बना रहना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

 

 

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