हाल ही में संभल के सीओ अनुज चौधरी पर धार्मिक कार्यक्रम में वर्दी में गदा लेकर चलने के आरोप लगे हैं, जिससे उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है। इसी बीच अनुज चौधरी का सोशल मीडिया पोस्ट सामने आया हैं, जिसमें उन्होंने गदा का खुद से जुड़ाव बताया है। हालांकि इससे पहले जब 2020 में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था, जब एक दारोगा को सस्पेंड किया गया था। दोनों ही मामले धार्म से जुड़े हैं, ऐसे में आइए आपको पहले ये बताते हैं कि ये दोनों मामले आखिर हैं क्या और इस मामले में पुलिस मैनुअल क्या कहता है।
ये है मामला
जानकारी के मुताबिक, संभल में 1 जनवरी 2025 को खग्गू सराय इलाके में 46 साल पुराने कार्तिकेय महादेव मंदिर में ‘किष्किंधा रथयात्रा’ निकाली गई थी। सुरक्षा की नजर से इस रथ यात्रा में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए थे। इस दौरान संभल सीओ अनुज चौधरी हाथों में गदा लेकर रथ यात्रा में नजर आए थे। इसी के बाद से बवाल शुरू हो गया। मामले में पूर्व आईपीएस और जन अधिकारी सेना के अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी को पत्र लिखकर अनुज चौधरी की शिकायत कर दी और इसे वर्दी नियमों का उल्लंघन बता दिया। इसके बाद डीजीपी ने अनुज चौधरी से मामले को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है और जल्द से जल्द एसपी को आदेश दिए हैं कि वो मामले में सीओ का बयान लें।
किया ये पोस्ट
वहीं अब मामला बढ़ता देख अपने सोशल मीडिया पर अनुज चौधरी ने लिखा, जय बजरंग बली दोस्तो. मुझे शेरे हिन्द ख़िताब, भारत कुमार ख़िताब, उत्तर प्रदेश केसरी वीर अभिमन्यु पुरस्कार दिया गया। मैं अनेको बार जीता हूं। अनेकों बार देश के कोने कोने में दंगलों में मुझे बजरंग बली महाराज जी की गदा से सम्मानित भी किया गया है। में जवान ही गदा पकड़े हुए हुआ हूं। जय हिन्द जय भारत।
पहले सामने आया था ये मामला
इससे पहले भी कुछ ऐसा ही मामला 2020 में सामने आया था, जहां बागपत के रमाला थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर इंतेशार अली ने लंबी दाढ़ी रखी थी। उन्हें बार-बार अफसरों ने दाढ़ी कटवाने का आदेश दिया, लेकिन सब इंस्पेक्टर इंतेशार अली ने दाढ़ी कटवाने से इनकार कर दिया और लंबी दाढ़ी के साथ अपनी ड्यूटी जारी रखी, जिसके चलते बागपत एसपी ने उन्हें निलंबित किया था। ऐसे में अब सीओ पर भी गदा उठाने को लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है।
क्या कहता है पुलिस मैनुअल
बात करें अब पुलिस मैनुअल की तो उत्तर प्रदेश पुलिस मैनुअल में 10 अक्टूबर 1985 को एक सर्कुलर जोड़ा गया था, जिसके मुताबिक मुस्लिम कर्मचारी एसपी से अनुमति लेकर दाढ़ी रख सकते हैं। हालांकि यूपी पुलिस के 1987 के सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि पुलिसकर्मियों को धार्मिक पहचान रखने से मना किया गया है। इसका मतलब साफ है कि पुलिसकर्मियों को धार्मिक गतिविधियों में वर्दी में भाग लेने से बचना चाहिए, ताकि बल की निष्पक्षता और धर्मनिरपेक्षता बनी रहे।