जिस माटी में बाबू वीर कुंवर सिंह का जन्म हुआ, उसी धरा के अमिताभ यश भी हैं. बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले अमिताभ यश के पिता भी आईपीएस अफसर थे. पिता का नाम रामयश सिंह था. भोजपुर के लोग रामयश सिंह का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लेते हैं. अमिताभ ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की. शुरू से ही दिल में तमन्ना थी एक आईपीएस अफसर बनने की, इसलिए UPSC की परीक्षा दी और एग्जैम क्रैक कर IPS अफसर बन गए.
फिल्म कल्पनाओं से बुनी गई थी
फिल्म सिंघम देखी है…एक ऐसा पुलिस अधिकारी जो निर्भीक है, ईमानदार है. अपराधी जिसे देख थर-थर कांपते हैं. फिल्म में अजय देवगन ऐसे ही पुलिस अफसर बने थे. यह कहानी वास्तविक घटना पर आधारित नहीं थी. फिल्म कल्पनाओं से बुनी गई थी. आज हम आपको एक ऐसे ही रियल लाइफ के सिंघम से मिलवाते हैं. नाम है अमिताभ यश. इस पुलिस अफसर को उत्तर प्रदेश का नया एडीजी ला एंड ऑर्डर बनाया गया है. UP STF के साथ कानून व्यवस्था का अतिरिक्त प्रभार अमिताभ यश देखेंगे. यूपी पुलिस में अमिताभ यश वह नाम है, जिसके बारे में कहा जाता है कि अपराध खत्म करना है तो इन्हें बुलाओ.
डकैत ददुआ का किया अंत
यूपी का बुंदेलखंड…कभी यहां पर कुख्यात डकैत ददुआ ने आतंक का राज कायम कर रखा था. ददुआ के लिए किसी का मर्डर करना बेहद आम बात थी. 2007 में मायावती की सरकार थी. सरकार पर विपक्ष बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर दबाव बना रहा था. ऐसे में ददुआ पर लगाम लगाना जरूरी हो गया था. तब मायावती सरकार के बड़े अफसरों की नजर अमिताभ यश पर पड़ी. ददुआ को पकड़ने के लिए एसटीएफ की टीम बनी, जिसमें बतौर एसएसपी अमिताभ यश शामिल हुए. इसके बाद इस टीम ने ददुआ को एनकाउंटर में मार गिराया. इसके बाद कुख्यात बदमाश ठोकिया के खिलाफ अभियान चलाया गया. ठोकिया भी एक एनकाउंटर में मारा गया.
100 से ज्यादा बदमाशों को किया ढेर
अमिताभ यश ने अबतक अपनी सर्विस के दौरान 100 से ज्यादा बदमाशों को ढेर किया. यूपी में अतीक अहमद और मुख्तारी अंसारी गैंग के कई शूटर्स एनकाउंटर में मार गिराए. इसके अलावा प्रदेश में कई बड़े घोटालों की जांच की. चाहे आयुष भर्ती घोटाला हो या TET पेपर लीक मामला, इन मामलों का खुलासा कर आरोपियों को जेल भेजा. यूपी के कुख्यात विकास दुबे के गैंग का खात्मा भी अमिताभ यश की अगुवाई में ही किया गया.
पहली तैनाती यूपी के संतकबीरनगर जिले में
अमिताभ यश बतौर पुलिस कप्तान की पहली तैनाती यूपी के संतकबीरनगर जिले में हुई. अमिताभ शुरू से ही बेखौफ थे. ऐसा कहा जाता है कि वह 24 घंटे एक्टिव रहते हैं. उन्हें बस एक ही चीज नहीं है पसंद… वह अपराध. कुछ ही दिनों में संतकबीरनगर के लोगों के लिए अमिताभ हीरो बन गए. यहां के लोगों में यह चर्चा आज भी है कि ‘रात के दो बज रहे होते, फिर भी कॉल करने पर कप्तान साहब फोन उठा लेते.’ अमिताभ यश हरदोई, जालौन, सहारनपुर में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. नोएडा, सीतापुर, बुलंदशहर और कानपुर में बतौर एसपी और एसएसपी रहते हुए क्राइम कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाई. मई 2017 में अमिताभ STF के आईजी बने थे.