पुलिस विभाग में अनुशासन और सम्मान की बात करने वाले अधिकारियों की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। दरअसल हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि, बदायूं पुलिस लाइन में तैनात सिपाही की मौत के बाद उसके शव को पुलिस लाइन लाने की बजाय पोस्टमार्टम हाउस में ही स्ट्रेचर पर रखकर सलामी दी गई। इस दृश्य का वीडियो वायरल होने के बाद महकमे में हड़कंप मच गया।
कार्रवाई करते हुए एसएसपी ने दरोगा और सिपाही को निलंबित कर दिया है। मामले की जांच एसपी सिटी को सौंपी गई है, जबकि सीओ लाइन और आरआई की भूमिका भी जांच के दायरे में है।
ये था मामला
गाजियाबाद के रिस्तल गांव निवासी सिपाही पंकज कुमार की तैनाती पुलिस लाइन में थी। वह बीते 10 मई को बीमारी के चलते दुनिया से रुख़सत हो गए। इसके बाद सीओ लाइन डॉ. देवेंद्र कुमार और प्रतिसार निरीक्षक इंद्रजीत सिंह के निर्देश पर पोस्टमार्टम हाउस में ही उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर देने की प्रक्रिया पूरी की गई। सिपाही के शव को स्ट्रेचर पर रखकर वहां सलामी दी गई।
इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो और फोटो जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर वायरल हुआ, तो लोगों ने कड़ा सवाल उठाया कि क्या यही एक सिपाही को अंतिम सम्मान देने का तरीका है? मामला आईजी और एडीजी रेंज तक पहुंचा, जिन्होंने तुरंत एसएसपी डॉ. बृजेश कुमार सिंह से रिपोर्ट मांगी।
जांच में स्पष्ट लापरवाही सामने आने के बाद दरोगा रामरूप और सिपाही नरेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया गया। एसपी सिटी अमित किशोर श्रीवास्तव को पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
एसएसपी ने कहा ये
एसएसपी ने कहा कि “शव को पुलिस लाइन लाकर तख्त पर रखकर सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी जानी चाहिए थी। नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई की गई है और संबंधित अफसरों की भूमिका भी जांची जा रही है।”