उत्तर प्रदेश में हाल ही में पूरी हुई 60,244 पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती को लेकर बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह इस प्रक्रिया का प्रचार किया जा रहा है, उससे यह कोई असाधारण उपलब्धि प्रतीत कराई जा रही है, जबकि ऐसी नियुक्तियां प्रशासनिक कार्यों का हिस्सा होती हैं।
किए ये पोस्ट
मंगलवार, 18 जून को मायावती ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर दो सिलसिलेवार पोस्ट कर भाजपा सरकार की नीति और प्रचार शैली पर तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने लिखा कि पुलिस भर्ती कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है, ताकि विभाग में रिक्तियां भरी जा सकें और कार्य प्रभावित न हो। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह भी देखा जाना चाहिए कि क्या भर्ती प्रक्रिया में सभी वर्गों को समान प्रतिनिधित्व मिला है और चयनित अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग को लेकर कितनी पारदर्शिता है।
अपने दूसरे पोस्ट में उन्होंने अपनी सरकार के दौर की याद दिलाते हुए कहा कि जब वे मुख्यमंत्री थीं, तब “कानून द्वारा कानून का राज” की सोच के साथ 1.20 लाख पदों की स्वीकृति देकर पुलिस विभाग को मज़बूती दी गई थी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उस समय बिना किसी भेदभाव के सभी समाजों को अवसर मिला और जनता को एक सुरक्षित माहौल प्राप्त हुआ।
मायावती का यह बयान सीधे तौर पर भाजपा सरकार की हालिया पुलिस भर्ती और कानून व्यवस्था की स्थिति पर प्रहार माना जा रहा है। उनके मुताबिक, वर्तमान में पारदर्शिता और सामाजिक संतुलन की जो भावना होनी चाहिए थी, वह कहीं न कहीं नज़रअंदाज़ हो गई है।
हाल ही ने बांटे गए थे नियुक्ति पत्र
गौरतलब है कि बीते दिनों लखनऊ में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा नियुक्ति पत्र वितरित करने के अवसर को बड़े पैमाने पर प्रचारित किया गया था। इस कार्यक्रम में कहा गया था कि अब नौकरियां “पर्ची-पैसे के बिना” दी जा रही हैं।