जानें पूर्व IPS किशोर कुणाल के बारे में, जिन्होंने अपनी पहली सैलरी से बनवाया था मंदिर

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आईपीएस अधिकारी और महावीर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष किशोर कुणाल का 29 दिसंबर के दिन पटना में निधन हो गया। कार्डियक अरेस्ट के बाद उन्हें महावीर वत्सला अस्पताल ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वे अपने कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी और साहस के लिए इतने प्रसिद्ध थे, कि उनकी मृत्यु के बाद भी लोग उन्हें याद कर रहे हैं। पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल ने न सिर्फ कर्तव्यनिष्ठा के साथ पुलिस विभाग की सेवा की बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

2001 में पकड़ी थी आध्यात्म की राह

बात करें उनकी शिक्षा की तो आईपीएस किशोर कुणाल ने उच्च शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ाई की। किशोर कुणाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिहार में पूरी की। इसके बाद उन्होंने पटना कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की, जहां वे इतिहास के एक मेधावी छात्र थे। उनकी रुचि भारतीय संस्कृति, धर्म और समाजशास्त्र में भी रही। इसके बाद उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। उनकी गहन शैक्षिक योग्यता और मेहनत ने उन्हें भारतीय प्रशासनिक और पुलिस सेवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिलाई। किशोर कुणाल का गहरा अध्ययन और भारतीय इतिहास व संस्कृति के प्रति उनकी रुचि, उनके पूरे करियर और समाजसेवा के कार्यों में झलकती है। उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि ने उन्हें न केवल एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी बनाया, बल्कि उन्हें धार्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में योगदान देने के लिए भी प्रेरित किया। 1972 में वो गुजरात कैडर से भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए, जिसके बाद उन्हें पुलिस अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया। 1978 में वह अहमदाबाद के पुलिस उपायुक्त बने। इसके बाद 1983 में उन्हें पदोन्नति मिली और पटना में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात किया गया। 1990 से 1994 तक उन्होंने गृह मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) के रूप में कार्य किया। एक आईपीएस अधिकारी के रूप में कुणाल पहले से ही धार्मिक कार्यों में शामिल थे। 2001 में उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देकर आध्यात्म की राह पकड़ ली।

समाज सुधार के लिए किए कई कार्य

किशोर कुणाल का नाम विशेष रूप से तब सुर्खियों में आया जब वे बिहार के पटना शहर में पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई समाजिक सुधार कार्य किए और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। किशोर कुणाल की एक और विशेषता यह थी कि उन्होंने समाज में जागरूकता फैलाने के लिए कई सामाजिक अभियानों का संचालन किया, जिनमें महिलाओं की सुरक्षा, बच्चों के अधिकार और भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता शामिल थीं। उनके कार्यों और समाज सेवा के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया। उनकी निडरता और उनके द्वारा किए गए कार्यों ने उन्हें भारतीय पुलिस सेवा के आदर्श अफसरों में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।

पहली सैलरी से बनवाया था मंदिर

उनके जीवन का एक किस्सा काफी फेमस है। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि किशोर कुणाल की शादी के दौरान मंदिर में दर्शन के वक्त उनके सिर में चोट लग गई थी। जिसके बाद उनके सिर से खूब सारा खून निकल रहा था। इस दौरान उनकी दादी जयरूपा देवी ने कहा कि मेरे पोते की नौकरी का पहला वेतन जब आएगा उससे मंदिर बनवाएंगे। इसके बाद जब उनकी पहली सैलरी आई तो किशोर कुणाल ने सबसे पहले घर के सामने एक मंदिर बना।जिसका नामकरण अपनी दादी के नाम से कराया।

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