उत्तर प्रदेश पुलिस जल्द ही आतंकवाद की जड़ पर वार करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। अब सिर्फ आतंकियों की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि उनके आर्थिक नेटवर्क को भी नेस्तनाबूद करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। इसके लिए पुलिसकर्मियों को टेरर फंडिंग की गहराई से जांच करना सिखाया जाएगा, वो भी सबसे आधुनिक तकनीकों के जरिए।
गृह मंत्रालय ने की पहल
गृह मंत्रालय की पहल पर नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर (NCTC) के अनुरोध पर यह विशेष प्रशिक्षण गाजियाबाद स्थित सीडीटीआई (सेंट्रल डिटेक्टिव ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) में आयोजित किया जाएगा।
कोर्स तीन स्तरों – बेसिक, इंटरमीडिएट और एडवांस – में संचालित होगा, जिसकी शुरुआत 8 सितंबर से हो रही है और समापन 5 दिसंबर को होगा। इसमें शामिल होंगे यूपी पुलिस के अलग-अलग रैंक के अधिकारी — एडिशनल एसपी से लेकर सिपाही तक।
इस प्रशिक्षण के जरिए पुलिस न सिर्फ आतंकी घटनाओं के बाद फाइनेंशियल ट्रेल को पकड़ सकेगी, बल्कि वर्चुअल डाटा एसेट्स जैसे बिटकॉइन, क्रिप्टोकरंसी और डिजिटल लेन-देन के जरिए की जा रही फंडिंग का भी पर्दाफाश कर पाएगी।
इस बाबत डीआईजी प्रशिक्षण राम सिंह यादव ने प्रदेशभर के पुलिस कमिश्नरेट, जोन व रेंज स्तर के अफसरों को पत्र भेजकर कहा है कि 10 अगस्त तक नामांकन भेजे जाएं। प्रत्येक स्तर के प्रशिक्षण में 40-40 पुलिसकर्मियों को शामिल किया जाएगा।
काफी काम आएगी ये ट्रेनिंग
यूपी पुलिस के लिए यह पहल सिर्फ एक कोर्स नहीं, बल्कि आने वाले समय में आतंकी नेटवर्क को जड़ से खत्म करने की रणनीतिक नींव है। यह प्रशिक्षण न सिर्फ कानून व्यवस्था को तकनीकी आधार देगा, बल्कि अपराधियों की आर्थिक रीढ़ तोड़ने में भी कारगर होगा।
इससे पहले शायद ही कभी यूपी पुलिस को आतंकी फंडिंग के डिजिटल मॉड्यूल पर इस स्तर की हाई-टेक ट्रेनिंग मिली हो। अब सिर्फ गोली और बंदूक नहीं, डेटा और डिजिटल विश्लेषण भी यूपी पुलिस का हथियार बनने जा रहा है।