उत्तर प्रदेश कैडर की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी तिलोत्तमा वर्मा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। प्रशिक्षण निदेशालय की जिम्मेदारी संभाल रहीं तिलोत्तमा वर्मा को प्रदेश की पहली महिला डीजीपी बनाए जाने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। डीजी प्रशिक्षण के पद पर तैनात वर्मा के पास अब भी छह महीने से अधिक का कार्यकाल शेष है और उन्हें वरिष्ठता तथा सेवा अनुभव के आधार पर इस पद के लिए उपयुक्त माना जा रहा है।
हाथरस मुठभेड़ में दिखाई थी बहादुरी, मिला राष्ट्रपति वीरता पदक
तिलोत्तमा वर्मा को वर्ष 2002 में हाथरस में बैंक लुटेरों से मुठभेड़ में अद्भुत साहस दिखाने के लिए राष्ट्रपति वीरता पदक से नवाजा गया था। यह सम्मान पाने वाली वह प्रदेश पुलिस की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनी थीं।
मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के शिमला की निवासी तिलोत्तमा वर्मा 1990 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं और लंबे समय तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहने के बाद हाल ही में प्रदेश में वापस लौटी हैं।
पारिवारिक पृष्ठभूमि भी मजबूत
तिलोत्तमा वर्मा के पति आशीष गुप्ता भी यूपी कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं। वह वरिष्ठता सूची में शीर्ष पर रहे हैं, हालांकि हाल ही में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के लिए आवेदन किया है।
महिला नेतृत्व की ओर बढ़ता यूपी पुलिस का कदम
अब तक उत्तर प्रदेश पुलिस में डीजीपी स्तर पर किसी महिला अधिकारी की तैनाती नहीं हुई है। हालांकि, हाल के वर्षों में महिलाओं को उच्च पदों पर अवसर मिलने लगे हैं। लक्ष्मी सिंह को नोएडा का पुलिस कमिश्नर और अनुपमा कुलश्रेष्ठ को आगरा जोन का एडीजी बनाया गया। जिलों में महिला थानों के अलावा अन्य थानों में भी महिला इंस्पेक्टरों की नियुक्ति का आदेश जारी किया गया है।
फील्ड ड्यूटी में बढ़ी महिलाओं की हिस्सेदारी
महिला कर्मियों को अब कार्यालयी कामों की बजाय फील्ड ड्यूटी में भेजने का आदेश स्वयं डीजीपी स्तर से जारी किया गया है। एटीएस में महिला कमांडो यूनिट तैयार की जा चुकी है, जो संवेदनशील अवसरों पर मोर्चा संभालने लगी है। यह बदलाव महिला पुलिस कर्मियों की भूमिका को नए स्तर पर ले जा रहा है।