उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले का महिला थाना इन दिनों एक ऐसी सोच को ज़मीन पर उतार रहा है, जो न सिर्फ विवादों को सुलझाता है, बल्कि उनसे उगता है एक हरा-भरा रिश्ता। यहां जब पति-पत्नी के बीच कोई विवाद सुलझता है, तो उस समझौते की याद को स्थायी बनाने के लिए दोनों को मिलकर एक पौधा लगाने के लिए कहा जाता है।
करीब दो साल पहले थाने की प्रभारी इतुल चौधरी ने इस प्रयास की शुरुआत की थी, और अब पूरा थाना एक हरे भरे उपवन में तब्दील हो चुका है।
अब तक लगाए जा चुके हैं इतने पौधे
जानकारी के मुताबिक, सीतापुर के इस महिला थाने में होने वाले पारिवारिक समझौतों को सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रखा जाता – दंपत्ति मिलकर एक पौधा लगाते हैं, जो उनके रिश्ते की नई शुरुआत का प्रतीक बनता है। अब तक 370 से ज़्यादा पौधे यहां लगाए जा चुके हैं। हर पौधा एक कहानी कहता है – सुलझते रिश्तों की और उम्मीद की।
पुलिसकर्मी ही रखते हैं ध्यान
इन पौधों की देखभाल थाने के पुलिसकर्मी खुद करते हैं। कुछ दंपत्ति समय-समय पर लौटकर अपने लगाए पौधों को देखने भी आते हैं। पर्यावरण को तो लाभ हो ही रहा है, साथ ही रिश्तों में भी एक नई भावनात्मक गहराई पैदा हो रही है – ‘जहां पेड़ ज़िंदा है, वहां भरोसा भी ज़िंदा है।’ इस सकारात्मक प्रयोग की सराहना राज्य महिला आयोग की सदस्य भी कर चुकी हैं। उम्मीद की जा रही है कि इसे अन्य जिलों के थाने भी अपनाएंगे।
थाना प्रभारी ने दी जानकारी
थाना प्रभारी ने बताया कि जब भी कोई दंपति थाने में अपने विवाद को सुलझाने आता है और आपसी सहमति से समझौता करता है, तो उन्हें एक पौधा लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह पौधा उनके नए सिरे से शुरू हुए रिश्ते का प्रतीक होता है और उन्हें यह याद दिलाता है कि जैसे पौधे की देखभाल करनी होती है, वैसे ही रिश्ते की भी।
इस पहल के तहत अब तक कई दंपतियों ने पौधे लगाए हैं, जिससे न केवल उनके रिश्ते में मजबूती आई है, बल्कि थाने के परिसर में हरियाली भी बढ़ी है। स्थानीय लोग भी इस पहल की सराहना कर रहे हैं और इसे एक सकारात्मक कदम मानते हैं।