उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक गलियारों में एक और बड़ा नाम वीआरएस की ओर बढ़ गया है। 1989 बैच के सीनियर आईपीएस अफसर आशीष गुप्ता ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) की मांग की, जो अब शासन ने मंजूर कर ली है। 10 जून को उनके लिए विदाई समारोह आयोजित किया जा रहा है। ऐसे में अखिलेश यादव ने अब मामले में सवाल उठाए हैं।
वरिष्ठता हाशिए पर, राजनीति हावी?
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस प्रकरण को सत्ता की भीतरगामी राजनीति से जोड़ते हुए योगी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को दरकिनार कर जूनियर अधिकारियों को तवज्जो देना, न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि इससे पुलिस सेवा का मनोबल भी प्रभावित हो रहा है। उनका कहना है कि “जब वरिष्ठों को योग्य पद नहीं मिलते तो वे हताश होकर सेवा से हटने को मजबूर हो जाते हैं।”
इस पूरी बहस की पृष्ठभूमि में हाल ही में की गई कार्यवाहक डीजीपी राजीव कृष्ण की नियुक्ति भी शामिल है। अखिलेश यादव पहले ही यह सवाल उठा चुके हैं कि 11 वरिष्ठ अफसरों को दरकिनार कर आखिर किस आधार पर जूनियर अधिकारी को डीजीपी की कुर्सी सौंपी गई? वह इसे वरिष्ठता और अनुभव के खिलाफ निर्णय मानते हैं।
पूर्व सीईओ नेटग्रिड और वर्तमान में डीजी रूल्स एंड मैनुअल्स के पद पर तैनात आशीष गुप्ता को डेपुटेशन से लौटने के बाद करीब छह महीने वेटिंग में रखा गया था। अखिलेश का आरोप है कि अधिकारियों को या तो ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है या फिर सोशल मीडिया और राजनीतिक दबावों के जरिए टारगेट किया जाता है।
अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा, “अगर भाजपा सरकार कर्तव्यनिष्ठ अफसरों को पुरस्कार नहीं देना चाहती, तो कम से कम उन्हें अपमानित तो न करे।” उन्होंने अधिकारियों और उनके परिवारों को प्रताड़ित किए जाने की घटनाओं पर भी चिंता जताई है।