बेहद कम उम्र में सिर से उठा पिता का साया, फिर भी कठिन परिस्थितियों को पार करके दारोगा बनें अनुज कुमार, जानें इनके संघर्ष की कहानी

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वो कहते हैं न कि लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती। इस बात को चरितार्थ किया है ग्रेटर नोएडा के इको विलेज-1 के थाना प्रभारी अनुज कुमार ने। दरअसल, उनके संघर्ष की पूरी कहानी एक प्रेरणादायक यात्रा है, जो कठिनाईयों और चुनौतियों से जूझते हुए सफलता की ऊंचाईयों तक पहुंचने की मिसाल पेश करती है। उनकी यात्रा हमें यह सिखाती है कि अगर मेहनत, समर्पण और ईमानदारी से काम किया जाए तो कोई भी मुश्किल असंभव नहीं होती। आइए आपको भी उनके जीवन की कठिन यात्रा से रूबरू कराते हैं।

कठिन परिस्थितियों में बनें दारोगा

जानकारी के मुताबिक, मुजफ्फरनगर के एक छोटे से गांव में जन्मे अनुज कुमार ने मात्र 5 वर्ष की आयु में अपने पिता को खो दिया था। उनकी मां और बड़े भाइयों ने कठिन परिस्थितियों में उनका पालन-पोषण किया। बचपन से ही अनुज कुमार ने अनेक चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। शिक्षा के प्रति उनकी लगन ने उन्हें सब-इंस्पेक्टर बनने के सपने को साकार करने में मदद की। कठिन परिस्थितियों में भी अनुज कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए शहर का रुख किया और मेहनत से अपनी पढ़ाई पूरी की। वह जानते थे कि अगर उन्हें पुलिस विभाग में एक बड़ा अधिकारी बनना है, तो उन्हें कठिन परिश्रम और ईमानदारी से काम करना होगा।

पहले कुछ साल काफी संघर्षपूर्ण रहे

एक समय तो ये भी आया था कि जब वो एलएलबी कर रहे थे तो उस दौरान एक हादसा हुआ था। इस हादसे में उनका एक हाथ टूट गया था लेकिन शिक्षा के प्रति उनकी लगन ने उन्हें सब-इंस्पेक्टर बनने के सपने को साकार करने में मदद की। यह खुशी का पल 2012 में आया था, जब उन्हें जॉइनिंग मिली थी। पहले कुछ साल काफी संघर्षपूर्ण रहे, लेकिन अनुज ने कभी हार नहीं मानी। उनका यह विश्वास था कि अगर वे पूरी निष्ठा से अपना काम करेंगे, तो सफलता निश्चित मिलेगी। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत, ईमानदारी, और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता से विभाग में तेजी से अपनी पहचान बनाई।

लग चुके हैं कई आरोप

पुलिस सेवा में रहते हुए अनुज कुमार को कई बार कठिन परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ा। इनमें से एक बड़ा विवाद बीटा-2 कोतवाली में हुआ, जब एक दलित छात्र ने पुलिसकर्मियों पर मारपीट और दुर्व्यवहार के आरोप लगाए। इस मामले में अनुज कुमार का नाम भी लिया गया। हालांकि ये आरोप बाद में गलत साबित हुए, लेकिन इस समय ने उनके मानसिक और व्यावसायिक संघर्ष को और भी कठिन बना दिया। इन्हीं विवादों और आरोपों के बावजूद अनुज कुमार ने हार मानने के बजाय इन समस्याओं से और अधिक सीखने का प्रयास किया। उन्होंने हमेशा अपने कार्यों से खुद को साबित किया और समाज में न्याय की भावना को फैलाने के लिए अपने प्रयास जारी रखे।

अधिनस्थों को सिखाते हैं अच्छी बातें

अनुज कुमार का मानना है कि पुलिस सेवा केवल कानून लागू करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि समाज में व्याप्त अन्याय, भ्रष्टाचार, और अपराध को समाप्त करने के लिए भी काम करना चाहिए। वह हमेशा अपने अधिनस्थों को यह सिखाते हैं कि पुलिस का असली उद्देश्य लोगों की सेवा करना है, न कि सिर्फ उन्हें डराना-धमकाना। अनुज कुमार की कहानी यह बताती है कि जीवन में किसी भी मुश्किल का सामना करते हुए यदि ईमानदारी, मेहनत और सकारात्मक सोच से काम किया जाए, तो सफलता जरूर मिलती है।

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