महोबा के चर्चित व्यापारी आत्महत्या प्रकरण में फंसे बर्खास्त आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिल सकी है। देश की सर्वोच्च अदालत ने जमानत याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए और समय देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 17 जुलाई 2025 तय की है।
इस मामले में हैं आरोपी
पाटीदार 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में भ्रष्टाचार व आत्महत्या के लिए उकसाने के गंभीर आरोपों में जेल में बंद हैं। उन पर वर्ष 2020 में महोबा जिले में क्रशर व्यवसायी इंद्रकांत त्रिपाठी से रिश्वत मांगने और मानसिक उत्पीड़न करने का आरोप है। इंद्रकांत ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। मामले ने उस समय प्रदेश स्तर पर हलचल मचा दी थी।
पहले हत्या का केस दर्ज हुआ, लेकिन एसआईटी जांच में हत्या की धारा हट गई। हालांकि आत्महत्या के लिए उकसाने और भ्रष्टाचार के आरोप यथावत रहे। करीब दो साल फरार रहने के बाद पाटीदार ने 2022 में विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) में आत्मसमर्पण किया था, जिसके बाद से वह जेल में हैं। उसी साल उन्हें केंद्र सरकार की अनुमति के बाद यूपी सरकार ने सेवा से बर्खास्त कर दिया।
जमानत के मामले पर हुई बहस
सुप्रीम कोर्ट में पाटीदार की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी कि तीन वर्षों से अधिक समय से जेल में रहने के बावजूद अब तक आरोप तय नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि इतनी लंबी हिरासत न्यायोचित नहीं है।
वहीं, यूपी सरकार की ओर से ASG नटराजन ने पाटीदार को जमानत दिए जाने का विरोध किया। उन्होंने कोर्ट से कहा कि पाटीदार पूर्व आईपीएस हैं और यदि बाहर आए, तो पुलिसकर्मी गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। कोर्ट ने फिलहाल कोई राहत नहीं दी और अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी।