जालसाज अनूप चौधरी फर्जी लेटर हेड दिखा GHAZIABAD POLICE से सालो से ले रहा था सुरक्षा, FIR दर्ज

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UP STF ने अयोध्या से जिस महाठग अनूप चौधरी को गिरफ्तार किया है उसके खिलाफ जयपुर से 50 लाख की धोखाधड़ी के मामले में सीबीआई से चार्जशीट, उत्तराखंड पुलिस की तरफ से 15 हजार का इनामी और यूपी में 10 से ज्यादा मुकदमों में नामजद होने के बावजूद जालसाज अनूप कुमार चौधरी को गाजियाबाद से सात बार गनर मिल चुका है इतना ही नहीं वर्तमान में भी अनूप ने पीएमओ के कामों का हवाला देकर उसने गाजियाबाद पुलिस से गनर ले रखा था।

सिफारिश लेटर भी मिले

एसटीएफ को अनूप चौधरी के पास एक चेक 9 करोड़, एक 10 करोड़, दो 55-55 करोड़, एक 25 करोड़, एक 30 करोड़, एक 5 करोड़ की, दो 45-45 करोड़ की, एक 3.10 करोड़, एक 4.90 करोड़, एक 1.10 करोड़, एक 6 करोड़ और एक 4 करोड़ की हस्ताक्षरित चेक मिली है। इसके अलावा चार ब्लैंक चेक भी बरामद हुई हैं। अनूप के पास से एक काली डायरी मिली है] जिसमें करोड़ों के लेन-देन का जिक्र है। इसमें कई बड़ी हस्तियों के नाम हैं। एसटीएफ को उसक पास से सरकार के शीर्ष लोगों को लिखे सिफारिशी पत्र भी बरामद हुए हैं।

भ्रमण कार्यक्रम के दौरान पुलिस सुरक्षा

गाजियाबाद पुलिस की वीआईपी सेल प्रभारी मयंक अरोड़ा की ओर से उसके खिलाफ बुधवार को फर्जी आदेश बनाकर पुलिस सुरक्षा लेने की एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसमें धोखाधड़ी और जालसाजी की धाराएं लगाई गई हैं। पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला कि उसने डीएम और एसएसपी दफ्तर की ई-मेल आईडी पर पहली बार फर्जी आदेश 18 अक्तूबर 2020 को भेजा था। इस पर आदेश जारी हुआ कि अनूप चौधरी के भ्रमण कार्यक्रम के दौरान पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई जाए। एक बार अफसर झांसे में आए तो उसका दुस्साहस बढ़ गया। वह हर दूसरे-तीसरे महीने इसी तरह का फर्जी आदेश ई-मेल से भेजने लगा और उसे सुरक्षा मिलने लगी। उसने नौ बार खुद को भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा, महाराष्ट्र का प्रभारी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य लिखते हुए ई-मेल किया था। इसे तसदीक कराए बगैर ही सुरक्षा मुहैया करा दी गई। उसने आठ बार रेलवे बोर्ड और फिल्म विकास परिषद का सदस्य बताते हुए और दो बार भारतीय खाद्य निगम और फिल्म विकास परिषद का सदस्य बताते हुए ई-मेल से सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश भेजा। सभी आदेश उसके ओएसडी की ओर से बताए जाते थे।

TMC से चुनाव लड़ा, फिर बदला पाला

अनूप चौधरी 2012 के विधानसभा चुनाव में हरदोई की बालामऊ सीट से विधायकी का चुनाव लड़ा था। हालांकि, उसे मात्र 771 वोट ही मिले थे। बाद में वह सत्ता में आई समाजवादी सरकार से जुड़ गया था। जैसे ही 2017 में भाजपा की सरकार आई वह खुद को बीजेपी नेता बताने लगा। STF को उत्तराखंड पुलिस से जानकारी मिली है कि अनूप जेकेवी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड नामक फाइनैंस कंपनी बनाकर ठगी कर रहा था। उसने इसके जरिए यूपी, उत्तराखंड के अलावा राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश में करोड़ों की ठगी की। आईबी व अन्य खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों ने अनूप कुमार चौधरी की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ के आला अधिकारियों से संपर्क किया है।

प्रयागराज के कारोबारी से ठगे करोड़ो रूपये

अनूप ने प्रयागराज के एक कारोबारी से 250 करोड़ का लोन करवाने के नाम पर “4.90 करोड़ की ठगी की। इसमें ” 90 लाख अपने ICICI बैंक के खाते में ही ट्रांसफर करवाए जबकि बाकी रकम कैश में ली। इस संबंध में प्रयागराज के नैनी थाने में एफआईआर दर्ज है। अनूप कुमार चौधरी के खिलाफ लखनऊ के विकास नगर थाने के साथ ही बरेली, शामली, अमरोहा, प्रयागराज, एटा, उत्तराखंड के हरिद्वार, खटीमा, हल्द्वानी, नैनीताल, ऊधम सिंह नगर और राजस्थान के जयपुर में करोड़ों रुपयों की धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं। जयपुर में धोखाधड़ी व आपराधिक साजिश के मामले में सीबीआई ने अनूप कुमार चौधरी के खिलाफ 2020 में चार्जशीट दाखिल की है। लखनऊ के विकासनगर के मामले में भी उसके खिलाफ चार्जशीट है।

देशभर में लेता था प्रोटोकॉल

अनूप कुमार चौधरी ने एसटीएफ को बताया कि वह क्षेत्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति उत्तर रेलवे एवं भारतीय खाद्य निगम लखनऊ का अशासकीय सदस्य है। उसने प्रोटोकॉल के लिए श्रीनिवास नाराला को अपना ओएसडी बनाया है। उसके जरिए ही फर्जी तरीके से तैयार किये गये प्रारूप में लेटर पैड पर लिखकर ईमेल से पत्र भेजकर वह प्रोटोकॉल का लाभ लेता था। चेन्नई में उसने सरकारी सुविधा ली थी। इटावा में भी प्रोटाकॉल के लिए पत्र गया था जबकि अयोध्या में भी ईमेल भेजकर प्रोटोकॉल के तहत सर्किट हाउस में रुका था।

तीर्थस्थलों में हेलिकॉप्टर दर्शन के लिए

अनूप कुमार चौधरी के साथ गाड़ी में मौजूद डीजीसीए के डिप्टी डायरेक्टर सतेंद्र वर्मा ने एसटीएफ को बताया कि उनकी अनूप से मुलाकात एयरपोर्ट पर हुई थी। अनूप ने उन्हें विभिन्न तीर्थ स्थलों के हेलिकॉप्टर से दर्शन करवाने के लिए कंपनी बनाने के संबंध में चर्चा की और कहा कि वह इसके लिए एक कंपनी बनाना चाहता है। लेकिन उसे कंपनी बनाने की जानकारी नहीं है और उसने सतेंद्र से इसमें मदद करने को कहा। चूंकि सतेंद्र अनूप को अक्सर बड़े-बड़े नेताओं के साथ एयरपोर्ट पर देखता था, इसलिए उसके प्रभाव में आ गया। अनूप चौधरी मूलरूप से अयोध्या के रौनाही का रहने वाला है। वर्तमान में वह गाजियाबाद के वैशाली के सेक्टर पांच में रह रहा है। उसने अपने गनर फिरोज आलम के दो आधार कार्ड बनवा रखे थे।

अयोध्या में सर्किट हाउस में रुका था

एसटीएफ के एएसपी सत्यसेन यादव ने बताया कि सूचना मिली थी कि पीएम के कामों को लोगों तक पहुंचाने के नाम पर एक गिरोह ठगी कर रहा है। यही नहीं खुद को बड़े-बड़े राजनेताओं और सरकारों का करीबी बताकर टेंडर, आयोगों में सदस्य बनाने के नाम पर लोगों को झांसा देकर करोड़ों की उगाही कर रहा है। गैंग का मास्टरमाइंड अनूप चौधरी कुछ लोगों के साथ अयोध्या दर्शन करने आया है और सर्किट हाउस में रुका हुआ जहां से एसटीएफ ने उसे सोमवार की गिरफ्तार किया था ।गाड़ी में अनूप चौधरी के साथ उसका चालक फिरोज आलम, डीजीसीए के डिप्टी डायरेक्टर लखनऊ के महानगर निवासी सतेंद्र वर्मा, हेड कॉन्स्टेबल पवन कुमार मौजूद थे। पवन ने बताया कि उसे अनूप चौधरी की सुरक्षा में गनर के रूप में गाजियाबाद से तैनात किया गया है। एसटीएफ ने सतेंद्र और गनर पवन कुमार को पूछताछ के बाद छोड़ दिया है।

19 बार फर्ज़ी तरीके से ली पुलिस सुरक्षा

खुद को बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चे से लेकर कई अन्य सरकारी विभागों का सलाहकार बताकर अनूप चौधरी 3 साल से फर्जी तरीके से सुरक्षा(सरकारी गनर) ले रहा था और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं थी। अनूप चौधरी ने सुरक्षा के संबंध में 18 अक्टूबर 2020 को मेल के माध्यम से सुरक्षा मांगी गई थी। डीएम ऑफिस को भेजे मेल में अनूप ने खुद को अनुसूचित मोर्चा और महाराष्ट्र प्रदेश प्रभारी समेत कई पद लिखकर भेजे थे। इसके बाद उसे एक गनर दे दिया गया। पहली बार गनर मिलने के बाद उसने एक दो बार नहीं 19 बार सुरक्षा ली। पता चला है कि अनूप गाजियाबाद के अलावा वाराणसी, गौतमबुद्धनगर समेत अन्य स्थानों की पुलिस से भी इसी तरह सुरक्षा ले चुका है। इस मामले का पता चलने के बाद जब जांच की गई तो सामने आया कि पहली बार दी गई सुरक्षा के बाद अन्य आदेश में सिर्फ तारीख को बदला गया। साथ ही पूरा आदेश वही था।

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