उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक (DGP) के स्थायी पद को लेकर बीते कई वर्षों से असमंजस की स्थिति बनी हुई है। 11 मई 2022 से राज्य में डीजीपी का पद केवल कार्यवाहक (अस्थायी) अधिकारियों के जरिए ही संभाला जा रहा है।
इसकी शुरुआत उस वक्त हुई जब तत्कालीन डीजीपी मुकुल गोयल को योगी सरकार ने अचानक हटा दिया। उनके हटने के बाद तत्कालीन डीजी इंटेलिजेंस डॉ. डीएस चौहान को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया।
इसलिए नहीं मिला स्थाई डीजीपी
सरकार ने डॉ. चौहान को स्थायी डीजीपी बनाने के लिए यूपीएससी को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन आयोग ने यह पूछते हुए प्रस्ताव लौटा दिया कि आखिर मुकुल गोयल को हटाने की वजह क्या थी? आयोग को इस प्रश्न का जवाब अब तक नहीं दिया गया और न ही नए डीजीपी के लिए कोई पैनल भेजा गया।
नतीजतन, डीएस चौहान कार्यवाहक रूप में कार्य करते रहे। उनके रिटायरमेंट के बाद यह जिम्मेदारी आरके विश्वकर्मा को मिली। वे भी दो माह तक कार्यवाहक डीजीपी बने रहे। इसके बाद विजय कुमार को यह पद सौंपा गया। विजय कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद एक फरवरी 2024 से प्रशांत कुमार कार्यवाहक डीजीपी के रूप में पदभार संभाल रहे हैं।
अब देखना होगा ये
स्थायी डीजीपी की नियुक्ति में हो रही देरी पर सवाल उठने लगे हैं। अब देखना यह है कि क्या प्रशांत कुमार को स्थायी किया जाएगा या फिर डीजीपी पद की नियुक्ति को लेकर नई प्रक्रिया शुरू होगी।