उत्तर प्रदेश पुलिस महकमे में डीजीपी स्तर पर सेवा विस्तार मिलना अब तक अपवाद ही रहा है। बीते 10–12 वर्षों के रिकॉर्ड पर नज़र डालें तो केवल दो वरिष्ठ अधिकारियों को ही यह विशेष अवसर मिला है। अखिलेश यादव की सरकार के दौरान डीजीपी रहे अरविंद कुमार जैन को तीन महीने का सेवा विस्तार दिया गया था।
इसके बाद योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में सुलखान सिंह को भी रिटायरमेंट से ठीक पहले तीन माह का सेवा विस्तार मिला। इसके पूर्व वर्ष 1983 में तत्कालीन डीजीपी श्रीश चंद्र दीक्षित को सेवा विस्तार मिला था। दोनों ही मामलों में सरकार ने यह निर्णय किसी विशेष प्रशासनिक परिस्थिति के मद्देनज़र लिया था।
तो क्या प्रशांत कुमार को मिलेगा विस्तार ?
अब प्रशांत कुमार का नाम चर्चा में है, जो इस समय कार्यवाहक डीजीपी के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। हालांकि अब तक किसी भी कार्यवाहक डीजीपी को सेवा विस्तार नहीं दिया गया है, लेकिन मौजूदा हालात में इस पर भी मंथन जारी है।
यदि प्रशांत कुमार को विस्तार मिलता है, तो वह फिलहाल इस श्रेणी में शामिल होने वाले तीसरे वरिष्ठ अधिकारी बन सकते हैं। हालांकि यदि विस्तार नहीं मिलता, तब भी माना जा रहा है कि उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद कोई अहम प्रशासनिक या सलाहकार पद सौंपा जा सकता है।
पूर्व डीजीपी का कहना है ये
पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि सेवा विस्तार किसी भी रैंक के अधिकारी को दिया जा सकता है – चाहे वह एसपी हो या डीजीपी। बशर्ते सरकार के पास इसका उचित कारण और ठोस प्रशासनिक तर्क हों। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चीफ सेक्रेटरी स्तर पर यह विस्तार छह माह तक संभव है, जबकि डीजीपी जैसे पुलिस पदों पर अधिकतम तीन महीने की सीमा है।
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या प्रशांत कुमार को ये विरल अवसर मिलेगा और वह सेवा विस्तार पाने वाले तीसरे डीजीपी बनेंगे या नहीं।