इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोबाइल, चेकबुक, पासबुक, एटीएम कार्ड और अन्य बहुमूल्य वस्तुओं की चोरी की शिकायतों पर केवल थाने की मुहर लगाने की प्रवृत्ति पर कड़ा ऐतराज जताया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि शिकायतों को सिर्फ स्वीकार करना और उन पर औपचारिक रूप से मुहर लगाकर छोड़ देना पर्याप्त नहीं है। इस पर सख्त रुख अपनाते हुए, हाईकोर्ट ने यूपी के पुलिस प्रशासन को निर्देश दिया कि चोरी की शिकायतों को थाने की जनरल डायरी (जीडी) और क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) में अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाए।
इस मामले के बाद आया निर्देश
यह निर्देश उत्तर प्रदेश के एटा जिले से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें शिकायतें दर्ज होने के बावजूद उन्हें किसी रिकॉर्ड में संकलित नहीं किया जा रहा था। अदालत ने इस लापरवाही पर न केवल नाराजगी जताई, बल्कि संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश भी दिए। इसके अतिरिक्त, यदि आवश्यक हो तो लापरवाह पुलिसकर्मियों पर कानूनी कार्यवाही करने का भी निर्देश दिया गया।
डीजीपी ने दिया आदेश
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने तत्काल प्रभाव से राज्यभर के पुलिस अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि चोरी की गई वस्तुओं की शिकायत को थाने में सिर्फ मुहर लगाकर नहीं छोड़ा जा सकता, बल्कि उसे विधिवत रूप से जीडी और सीसीटीएनएस में दर्ज किया जाना आवश्यक है।
डीजीपी ने आदेश दिया कि सभी पुलिसकर्मी इस प्रक्रिया का कड़ाई से पालन करें और यदि किसी भी थाने में इस आदेश की अवहेलना होती है तो संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह कदम शिकायतकर्ताओं को त्वरित न्याय दिलाने और पुलिस व्यवस्था को अधिक पारदर्शी व जवाबदेह बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।