उत्तर प्रदेश पुलिस के संगठनात्मक ढांचे में सबसे निचले पायदान पर तैनात बीट सिपाही अब अपराध नियंत्रण की अग्रिम पंक्ति में खड़े नजर आएंगे। अमेठी पुलिस ने इन्हें नई तकनीक और पारंपरिक पुलिसिंग के मेल से तैयार किया है, ताकि अपराध को जड़ से पकड़ा जा सके। पुलिस का फोकस अब ऐसे लोगों की पहचान पर है जो हाल के समय में संपन्न हुए हैं, लेकिन उनके धन का स्रोत संदिग्ध है। बीट सिपाही यह पता लगाएंगे कि क्या उस संपन्नता के पीछे आपराधिक गतिविधियां तो नहीं छुपी हैं।
एसपी ने शुरू की पहल
एसपी अपर्णा रजत कौशिक की पहल पर जिले के 636 बीट सिपाहियों को स्मार्टफोन उपलब्ध कराए गए हैं। इन सिपाहियों की जिम्मेदारी अब सिर्फ थाने तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि ये अपने-अपने बीट क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों पर गहराई से नजर रखेंगे। खासतौर पर उन लोगों पर जो अचानक से आर्थिक रूप से समृद्ध हो गए हैं।
बस्ती से दूर बने एकांत घरों पर भी विशेष निगरानी रखी जा रही है। अपराधी अक्सर ऐसे स्थानों पर छिपकर अपना नेटवर्क खड़ा करते हैं। बीट सिपाही ऐसे स्थानों पर जाकर वहां रहने वालों का सत्यापन करेंगे, उनकी पहचान, आय का स्रोत और मोबाइल नंबर जैसी जानकारियां जुटाकर उच्चाधिकारियों तक पहुंचाएंगे।
सिर्फ गंभीर अपराध ही नहीं, बीट सिपाही उन युवकों की पहचान भी करेंगे जो महंगी बाइकों पर स्टंट करते हैं और सोशल मीडिया पर वीडियो डालते हैं। ऐसे ग्रुप्स की सूची तैयार कर उनके परिवारों से संवाद कर काउंसलिंग की जाएगी।
शस्त्र लाइसेंसधारियों के हथियार उपयोग का भी ऑडिट अब बीट सिपाही के जिम्मे होगा। यह देखा जाएगा कि साल भर में उन्होंने कितने कारतूस खरीदे और उनका इस्तेमाल किस उद्देश्य से हुआ।
अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा ये
अपर पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि बीट सिपाही ही वो कड़ी हैं जो थाने और गांवों के बीच वास्तविक पुल का काम करते हैं। उनकी सक्रियता से पुलिस को न केवल समय रहते अपराधी की पहचान करने में मदद मिलेगी, बल्कि संभावित घटनाओं को भी रोका जा सकेगा।