उत्तर प्रदेश में डीजीपी राजीव कृष्ण की कमान संभालने के बाद यह पहला बड़ा पर्व है, जब कानून व्यवस्था की अग्निपरीक्षा होनी है। बकरीद को लेकर प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क मोड में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट निर्देशों के बाद डीजीपी ने गुरुवार शाम पूरे प्रदेश के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं, ताकि त्योहार शांतिपूर्वक, सौहार्दपूर्ण और परंपरागत ढंग से सम्पन्न हो सके।
दिए ये निर्देश
डीजीपी के नए दिशा-निर्देशों की खास बात यह है कि अब तक जितने भी त्योहार प्रशासनिक नजरों से सिर्फ व्यवस्थागत थे, वहीं अब ‘पूर्व संवाद’ और ‘स्थानीय भागीदारी’ को प्रमुखता दी जा रही है।
डीजीपी के आदेश के बाद हर जिले में शांति समितियों, धर्मगुरुओं और आम नागरिकों के साथ बैठकें कर पीस कमेटी के ज़रिए लोगों को साथ लिया गया है। यह मॉडल दर्शाता है कि राजीव कृष्ण केवल सख्ती के लिए नहीं, बल्कि समन्वय और संवेदनशीलता के साथ काम कर रहे हैं।
थानों के त्योहार रजिस्टरों की समीक्षा कर यह तय किया गया है कि किसी भी नई परंपरा को न पनपने दिया जाए, जिससे सामाजिक ताने-बाने पर असर पड़े। खासतौर पर प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी पर निगरानी सख्त की गई है और नगर निकायों के साथ मिलकर अवशेषों के वैज्ञानिक निस्तारण की तैयारी भी कर ली गई है।
जोन सेक्टर की जिम्मेदारी तय
जोन-सेक्टर स्तर पर अफसरों की जिम्मेदारी तय करते हुए अतिरिक्त पुलिस बल, PAC और होमगार्ड की तैनाती की गई है। त्योहार के दौरान संवेदनशील स्थलों की पहचान कर वहां विशेष सतर्कता बरती जा रही है। सोशल मीडिया की निगरानी भी तेज़ की गई है, ताकि किसी भी अफवाह या भड़काऊ सामग्री पर तुरंत कार्रवाई हो सके।