उत्तर प्रदेश पुलिस अपराध नियंत्रण और दोषियों को न्यायिक सजा दिलाने में अब पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़ चुकी है। बीते आठ वर्षों में प्रदेश ने 75,000 से अधिक अपराधियों को न्यायालय में ठोस साक्ष्यों के आधार पर दोषी सिद्ध कर सजा दिलाई है। यह बदलाव केवल कड़ी निगरानी या गश्त तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें तकनीकी दक्षता और वैज्ञानिक अनुसंधान का महत्वपूर्ण योगदान है।
पहले नंबर पर यूपी पुलिस
राज्य में अपराधियों की पहचान को सटीक और तेज बनाने के लिए नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (NAFIS) को हाईस्पीड सर्वर से जोड़ा गया है। इसके तहत अपराधियों के फिंगरप्रिंट का विशाल डाटाबेस तैयार किया गया है, जिसे प्रदेश के सभी जिलों से रियल टाइम में एक्सेस और एनालाइज किया जा सकता है। परिणामस्वरूप, अंगुली छाप पंजीकरण में उत्तर प्रदेश देश में अव्वल स्थान पर है, जहां अब तक 4,14,473 से अधिक फिंगरप्रिंट दर्ज किए जा चुके हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यूपी फिंगरप्रिंट इनरोलमेंट में पूरे देश में पहले स्थान पर है। यह राज्य की पुलिस द्वारा अपनाई गई आधुनिक फॉरेंसिक तकनीकों और डिजिटल अपराध रिकॉर्ड संकलन की स्पष्ट झलक है।
इस मामले में भी नहीं है पीछे
इसके साथ ही, बायोलॉजिकल साक्ष्यों की जांच में भी उत्तर प्रदेश पीछे नहीं है। प्रदेश में स्थापित की गई आठ अत्याधुनिक फॉरेंसिक लैब्स हत्या, बलात्कार, चोरी और साइबर अपराध जैसे मामलों में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। इन प्रयोगशालाओं की मदद से अभियोजन पक्ष के पास ठोस वैज्ञानिक प्रमाण होते हैं, जिससे दोषियों को सजा दिलवाना आसान हो गया है। उत्तर प्रदेश पुलिस की यह तकनीकी तरक्की, न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए मिसाल बन रही है।