उत्तर प्रदेश पुलिस की वर्दी सिर्फ अनुशासन का प्रतीक नहीं, बल्कि साहस और संवेदनशीलता का संगम है। बाराबंकी जिले की मॉनीटरिंग सेल में तैनात महिला हेड कांस्टेबल प्रतिमा द्विवेदी ने इसे चरितार्थ कर दिखाया है। उन्होंने अदालतों और पीड़ितों के बीच सेतु बनकर, न केवल न्याय की राह आसान की, बल्कि अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।
किन केसों में निभाई अहम भूमिका
जानकारी के मुताबिक, जुलाई 2023 से अक्टूबर 2024 तक के महज़ 15 महीनों में प्रतिमा ने 1524 केसों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने न सिर्फ केसों की निगरानी की, बल्कि हर मुकदमे से जुड़े गवाहों को कोर्ट तक बुलवाकर गवाही दर्ज कराई और ज़रूरी साक्ष्य समय पर उपलब्ध कराए। उनकी मेहनत से न केवल दोषियों को सज़ा दिलवाई गई, बल्कि पीड़ितों को न्याय का भरोसा भी मिला।
प्रतिमा का कार्य सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि समर्पण का जीवंत उदाहरण था। वे निरंतर पीड़ितों से संवाद बनाए रखते हुए, केस की प्रगति सुनिश्चित करती रहीं। कोर्ट में समय से साक्ष्य पहुंचाना, गवाहों को सुरक्षा और सुविधा देना, और दोषियों के खिलाफ केस मजबूत करना – उनके काम का मूल था।
मिल चुका है डीजीपी का प्रशंसा चिन्ह
उनकी इस उल्लेखनीय सेवा को डीजीपी प्रशांत कुमार ने स्पेशल 26 ब्रेवरी अवार्ड प्रदान कर सराहा। यह वही प्रतिमा हैं, जिन्हें वर्ष 2024 में पुलिस महानिदेशक प्रशंसा चिन्ह (सिल्वर) से भी सम्मानित किया गया था। प्रतिमा द्विवेदी जैसी सिपाही वह मजबूत नींव हैं, जिन पर न्याय व्यवस्था का भरोसा टिका है। वे याद दिलाती हैं कि वर्दी में संवेदनशीलता और साहस दोनों समाहित हैं।