उत्तर प्रदेश में थानेदारों की तैनाती को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट साझा करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार जातिगत आधार पर तैनातियां कर रही है। इस पर पहले तो डीजीपी ने बयान जारी किया था लेकिन अब मैनपुरी और आगरा पुलिस ने भी अखिलेश यादव के इस आरोप का खंडन किया है।
अखिलेश यादव ने कहा ये
अखिलेश यादव ने दावा किया कि आगरा, मैनपुरी, चित्रकूट और महोबा जैसे जिलों में पुलिस थानों में ठाकुर समुदाय के लोगों की संख्या अत्यधिक है, जबकि पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) वर्ग की भागीदारी नगण्य है।
अखिलेश ने उदाहरण देते हुए लिखा, “आगरा के 48 थानों में सिर्फ 15 थानेदार पीडीए वर्ग से हैं, शेष ‘सिंह भाई’। मैनपुरी में 15 थानों में 3 पीडीए, 10 ठाकुर। चित्रकूट में 10 में से 2 पीडीए, 5 ठाकुर। महोबा में 11 थानों में 3 पीडीए, 6 ठाकुर।”
डीजीपी ने कहा ये
इन आरोपों के बाद प्रदेश के पुलिस प्रमुख डीजीपी प्रशांत कुमार ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अखिलेश यादव के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि तैनातियाँ शासन के तय नियमों और प्रक्रियाओं के तहत होती हैं, न कि जातिगत आधार पर। डीजीपी ने यह भी कहा कि सार्वजनिक जीवन में रहते हुए भ्रामक आंकड़ों को साझा करने से बचना चाहिए।
आगरा और मैनपुरी पुलिस ने भी किया खंडन
इसी क्रम में आगरा पुलिस कमिश्नरेट और मैनपुरी पुलिस प्रशासन ने भी अपने स्तर से खंडन जारी किया। आगरा कमिश्नरेट के अनुसार, वहां 39 प्रतिशत ओबीसी, 18 प्रतिशत एससी और 27 प्रतिशत अल्पसंख्यकों को तैनात किया गया है। मैनपुरी पुलिस के अनुसार, वहां 31 प्रतिशत ओबीसी और 19 प्रतिशत एससी वर्ग के अधिकारी तैनात हैं। यह मामला अब सियासी बहस का मुद्दा बनता जा रहा है, जिसमें आंकड़े और उनके विश्लेषण दोनों की परख जरूरी हो गई है।