उत्तर प्रदेश में अपनी पुलिसिंग से अलग पहचान बनाने वाले सीनियर आईपीएस अधिकारी और वर्तमान में DG CBCID के पद पर तैनात आनंद कुमार जी को पुलिस मीडिया परिवार की और से जन्मदिवस की ढ़ेर सारी शुभकामनाये. आनंद कुमार 1988 बैच में आईपीएस बने थे. बता दें कि वर्ष 1988 बैच के आईपीएस आनंद कुमार इसी माह अप्रैल 2024 में रिटायर हो रहे हैं. आईपीएस आनंद कुमार ने यूपी की जेलों को सुधारने में बड़े पैमाने पर काम किया है. वर्तमान की योगी सरकार में लंबे समय तक एडीजी कानून एवं व्यवस्था के पद पर रहते हुए कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने में भी इनकी अहम भूमिका रही है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के टॉपर रहे
बिहार के पटना के रहने वाले आनंद कुमार का जन्म 4 अप्रैल 1964 को हुआ था. उनके पिता एसके श्रीवास्तव भी सरकारी नौकरी करते थे. आनंद कुमार की प्रारंभिक पढ़ाई लिखाई मॉडर्न स्कूल दिल्ली से हुई, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में एडमिशन लिया. यहां से उन्होंने इतिहास में स्नातक की डिग्री पूरी की. इतना ही नहीं मास्टर्स का कोर्स भी उन्होंने इतिहास में ही किया है. इस दौरान एमए में वह दिल्ली विश्वविद्यालय के टॉपर भी रहे.
उनके प्रयासों की चर्चा आज भी है होती
सीनियर आईपीएस अधिकारी आनंद कुमार अपने अब तक के कार्यकाल में गोरखपुर, मुरादाबाद, गाजियाबाद जैसे मुख्य जिलों में तैनात रहे. इतना ही नहीं आनंद कुमार ने बाद के दिनों में मुजफ्फरनगर, रायबरेली, मेरठ आदि जिलों की भी कमान संभाली. बाद में उनकी पोस्टिंग रायबरेली, मुजफ्फरनगर, मेरठ और हरिद्वार जैसे जिलों में हुई. उन्होंने अपनी दूरदर्शिता और जवाबदेह कार्यशैली से इन जिलों में प्रो पीपुल्स पुलिसिंग स्थापित की और अपराध नियंत्रण में सफल रहे. बतौर सीनियर एसपी उन्होंने देहरादून और गौतमबुद्ध नगर यानी नोएडा की कमान भी संभाली. उस दौरान अपराध नियंत्रण के उनके प्रयासों की चर्चा आज भी होती है। डीआईजी रैंक में पहुंचते ही आनंद कुमार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली आ गए, जहां उन्हें एयरपोर्ट अथॉरिटी और फिर एयर इंडिया के सिक्योरिटी डायरेक्टर के पदों पर नियुक्त किया गया. वे एविएशन सिक्योरिटी के विशेषज्ञ माने जाते हैं. उन्होंने भारत ही नहीं बल्कि मलेशिया, थाइलैंड और कनाडा से भी एविएशन सिक्योरिटी में एडवांस कोर्स किया है. वे न्यू जर्सी और पोलैंड में एविएशन सिक्योरिटी पर आयोजित सेमिनारों में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. होम कैडर में वापसी के साथ उन्हें लखनऊ और फिर सहारनपुर रेंज का डीआईजी बनाया गया. सहारनपुर में वे आईजी भी रहे हैं। आनंद कुमार पुनः वर्ष 2011 से 2016 तक के लिए सेंट्रल डेप्युटेशन पर गए. जहां उन्हें एनटीपीसी का एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर और बाद में ऑयल इंडिया का चीफ विजिलेंस ऑफिसर बनाया गया. आनंद कुमार को आला दर्जे का रणनीतिकार माना जाता है। कुमार अपने कार्यकाल के दौरान मेरठ जोन के एडीजी के पद पर भी तैनात रहे.
महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी के साथ ही
आनंद कुमार को 2017 में योगी सरकार बनने के बाद प्रदेश की कानून व्यस्था की चुनौतीपूर्ण स्थिति में प्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी दी गई और ये राज्य सरकार की उम्मीद पर खरे उतरे. वर्ष 2019 में प्रदेश के जेलों की बिगड़ी व्यवस्था को नियंत्रित करने और सुधार लाने के लिए उन्हें जेल प्रशासन और सुधार का डीजी बनाया गया. इस महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी के साथ ही उन्हें वर्ष 2019 में विशेष परिस्थिति में कुछ समय के लिए राज्य सैन्य पुलिस ( होमगार्ड ) का महानिदेशक भी बनाया गया. आनंद कुमार ने अपने शानदार करियर में एविएशन के अलावे क्रिमिनोलॉजी, कंप्यूटर एप्रेसिएशन और डिजास्टर मैनेजमेंट आदि में देश-विदेश से कई प्रशिक्षण हासिल किये हैं. आनंद कुमार को वर्ष 2019 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुलिस के सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रपति पदक ( गैलेंट्री अवार्ड ) से नवाजा गया है. इसके अलावा भी उन्हें समय-समय पर कई अवॉर्ड और प्रशस्ति पत्र मिल चुके हैं. जिनमें वर्ष 2009 में पुलिस मेडल, वर्ष 2013 में स्पेशल ड्यूटी मेडल, वर्ष 2017 में महानिदेशक का सिल्वर डिस्क वर्ष 2018 में पराक्रम पदक, वर्ष 2019 में प्लैटिनम डिस्क और इसी वर्ष मिले सीएम मेडल व कुंभ सेवा मेडल आदि शामिल हैं.
बदमाशों के खिलाफ हल्ला बोल
यूपी पुलिस को बदमाशों के खिलाफ हल्ला बोल अभियान शुरू करने के निर्देश दिए थे। तब सरकार ने 1988 बैच के आईपीएस अफसर आनंद कुमार को मेरठ जोन के एडीजी का जिम्मा सौंपा था. एडीजी की जिम्मेदारी संभालते ही आनंद कुमार ने मेरठ जोन में बदमाशों के खिलाफ मुहिम शुरू कर दी थी. इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाद में आनंद कुमार को एडीजी कानून एवं व्यवस्था बनाया तो तेजतर्रार आईपीएस प्रशांत कुमार को एडीजी मेरठ जोन की जिम्मेदारी दे दी थी. दोनों अफसरों ने बदमाशों के खिलाफ इस तरह हल्ला बोला था कि जेल के अंदर हाउसफुल के बोर्ड के नजर आने लगे थे. एक समय तो ऐसा था कि बदमाश अपने गले में तख़्ती डालकर जान की अमान मांग रहे थे. योगी सरकार के शुरुवाती 5 साल के कार्यकाल में अगर 160 बदमाशों को ढेर करते हुए हजारों बदमाशों को जेल की चारदीवारी में अगर बंद किया गया है तो उसके लिए डीजी जेल आनंद कुमार और डीजीपी प्रशांत कुमार की अहम भूमिका रही है।