बरेली के चर्चित दवा व्यवसायी मुकुल गुप्ता के फर्जी एनकाउंटर मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी छह आरोपी पुलिसकर्मियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। सोमवार को सुनाए गए फैसले में कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा।
इस मामले में तत्कालीन ट्रेनी आईपीएस अधिकारी जे. रविंद्र गौड़, सिपाही गौरी शंकर विश्वकर्मा, जगवीर सिंह, वीरेंद्र शर्मा, उप निरीक्षक विकास सक्सेना, मूला सिंह और देवेंद्र कुमार शर्मा आरोपी बनाए गए थे। हालांकि सीबीआई ने जांच के दौरान रविंद्र गौड़ और दो सिपाहियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की थी। रविंद्र गौड़ इस समय गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर हैं।
ये था मामला
घटना 30 जून 2007 की है जब मुकुल गुप्ता का कथित तौर पर अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। वादी ब्रजेंद्र कुमार गुप्ता ने आरोप लगाया कि अधिकारियों को खुश करने और पुरस्कार पाने के उद्देश्य से मुकुल की हत्या को फर्जी मुठभेड़ का रूप दिया गया। आरोप था कि मुकुल को रिक्शा से उतारकर एक लाख रुपये लूटे गए और फिर उसे टाटा सूमो में बैठाकर एके-47 से गोली मारी गई। बाद में मुकुल के खिलाफ ही हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।
सभी को किया कोर्ट ने बरी
वादी ने मामले की निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके आदेश पर 2010 में सीबीआई ने जांच शुरू की। सीबीआई ने 2014 में अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। मुकदमे के दौरान तीन आरोपियों की मृत्यु हो गई। बचाव पक्ष के वकील विशाल टहलयानी के मुताबिक, पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण अदालत ने शेष सभी आरोपियों को बरी कर दिया।