अपराध की दुनिया का रॉबिनहुड कहे जाने वाला Mukhtar Ansari की मूंछों को आखिरी बार ताव देता हुआ नजर आया बेटा

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गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को कब्रिस्तान में दफना दिया गया है। गाजीपुर के कालीबाग कब्रिस्तान में मुख्तार को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। कब्रिस्तान में केवल परिवार के लोगों को ही जाने की अनुमति दी गई थी। इस बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें मुख्तार अंसारी का छोटा बेटा उमर अंसारी अपने पिता की मूंछों को ताव दे रहा है। मुख्तार अंसारी को मूंछों का बहुत शौक था और अक्सर अपनी मूंछों को ताव दिया करता था। उसके दोनों बेटे अब्बास और उमर अंसारी भी मूछें रखते हैं और अपनी मूंछों को हमेशा अपने पिता की तरह ही ताव देते हैं। ऐसे में जब मुख्तार अंसारी की अंतिम यात्रा निकालने वाली थी, उस दौरान उमर अंसारी आखिरी बार अपने पिता की मूंछों को ताव देते हुए नजर आया।

 

सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया

गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को गाजीपुर के कालीबाग कब्रिस्तान में दफना दिया गया है। सुपुर्द-ए-खाक होने से पहले मुख्तार के जनाजे में काफी भीड़ उमड़ी थी। इस दौरान शहाबुद्दीन का बेटा ओसामा भी पहुंचा था। कब्रिस्तान में केवल परिवार के लोगों को ही जाने की प्रशासन ने इजाजत दी थी। मुख्तार के जनाजे में उसकी पत्नी और बड़ा बेटा अब्बास शामिल नहीं हो सका। क्योंकि मुख्तार की पत्नी फरार है, शायद यही वजह रही कि वो शामिल होने नहीं आई। वहीं मुख्तार का बड़ा बेटा अब्बास अंसारी कासगंज जेल में बंद है। हालांकि, उसने पिता मुख्तार के जनाजे में शामिल होने के लिए हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया, लेकिन मामला कहीं बना नहीं। हालांकि, छोटा बेटा उमर अंसारी ही अपने पिता मुख्तार को कंधा दे सका। वहीं पुलिस प्रशासन ने मुख्तार के अंतिम संस्कार को लेकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी। वहीं अस्पताल के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि शुक्रवार देर रात मुख्तार के पोस्टमॉर्टम से पुष्टि हुई कि माफिया की मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई। इसमें कहा गया है कि शव परीक्षण पांच डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा किया गया था।

 

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परिवार के लोगों को जाने की अनुमति

माफिया मुख्तार अंसारी का शव शुक्रवार देर रात बांदा से गाजीपुर पहुंचा। शनिवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मुहम्मदाबाद के कालीबाग कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। मुख्तार की कब्र उसके पिता सुभानउल्ला अंसारी व मां बेगम राबिया खातून की कब्र के समीप खोदी गई। मुख्तार के जनाजे में भारी संख्या में लोग उमड़े थे। चूंकि कब्रिस्तान में सिर्फ परिवार के लोगों को जाने की अनुमति थी। इसलिए लोग कब्रिस्तान के बाहर जुट गए। कुछ ही देर में हालात ऐसे हो गए कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मुख्तार के परिवार को लोगों से शांत रहने की अपील करनी पड़ी। आखिर में सुबह 11 से 11.30 के बीच मुख्तार को दफना दिया गया।

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