उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग की बॉर्डर स्कीम पिछले 11 वर्षों से लागू है, जिसका मकसद था कि कोई भी पुलिसकर्मी अपने गृह जिले या उससे सटी सीमा वाले जिले में तैनात न रहे। लेकिन बदायूं में यह स्कीम अलीगढ़ के मामले में पूरी तरह फेल साबित हुई। दरअसल, अलीगढ़ की सीमा बदायूं से जुड़ी है, पर इसे विभागीय अभिलेखों में अब तक दर्ज ही नहीं किया गया था।
एसडीएम ने की जांच
जनवरी 2025 में जब किसी ने इस गड़बड़ी की शिकायत एडीजी बरेली से की, तो पूरे मामले की तह तक जाने की प्रक्रिया शुरू हुई। एसएसपी बदायूं के अनुरोध पर डीएम ने सीमा की पुष्टि के लिए जांच के आदेश दिए।
एसडीएम सहसवान की जांच में खुलासा हुआ कि अलीगढ़ की अतरौली तहसील के तीन गांव बदायूं की सहसवान तहसील के गांवों से भौगोलिक रूप से जुड़े हैं। इन गांवों के बीच गंगा नदी बहती है, जिससे सीधा रास्ता तो नहीं, पर नदी पार कर जाया जा सकता है।
जांच रिपोर्ट के बाद अलीगढ़ मूल के करीब चार सौ कांस्टेबल व हेड कांस्टेबलों को चिह्नित कर बदायूं से अन्य जिलों में स्थानांतरित कर दिया गया। अब तक शाहजहांपुर, पीलीभीत, रामपुर, फतेहगढ़ जैसे जिलों में इनकी तैनाती सुनिश्चित की गई है।
14 अप्रैल के बाद होगी रवानगी
रवानगी हालांकि अभी रुकी हुई है क्योंकि लगातार त्योहारों—आंबेडकर जयंती, हनुमान जयंती आदि के कारण विभागीय हलचल सीमित रही। उम्मीद की जा रही है कि 14 अप्रैल के बाद इनकी रवानगी कर दी जाएगी। इसके बाद दारोगा और निरीक्षकों के तबादले की प्रक्रिया भी शुरू होगी। अलीगढ़ प्रशासन भी अब अलर्ट मोड में है, और वहां तैनात बदायूं के पुलिसकर्मियों की सूची तैयार की जा रही है।
एसएसपी ने दी जानकारी
अलीगढ़ एसएसपी डा. बृजेश कुमार सिंह का कहना है कि “अलीगढ़ जनपद के कुछ गांव बदायूं की सीमा में है। इसकी जानकारी कुछ दिन पहले मिली तो प्रशासन से इसकी रिपोर्ट मांगी गई थी। जिसमें तीन गांव बदायूं की सीमा में बताए गए। इसके चलते यह जिला बॉर्डर स्कीम में आ गया है। इसीलिए अलीगढ़ के रहने वाले पुलिसकर्मियों के तबादले गैर जनपद किए जा रहे हैं। पहले हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल के तबादले किए गए हैं। बाद में दारोगा और इंस्पेक्टर के तबादले किए जाएंगे।”