जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार सतर्क हो गई है। सुरक्षा को लेकर गंभीर कदम उठाते हुए 7 मई को देशभर में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल कराने का निर्णय लिया गया है। इसका उद्देश्य यह परखना है कि किसी आपात या युद्ध जैसी स्थिति में आम जनता और प्रशासन किस हद तक तैयार हैं।
244 जिलों में होगा अभ्यास
ये अभ्यास भारत के 244 जिलों में होगा, जिनमें उत्तर प्रदेश के 19 जिले भी शामिल हैं। हालांकि, यूपी सरकार ने इसे पूरे राज्य में लागू करने का फैसला लिया है। ड्रिल में पुलिस, सिविल प्रशासन, होम गार्ड, एनसीसी, एनएसएस, स्कूल-कॉलेज के छात्र, और नेहरू युवा केंद्र से जुड़े लोग भाग लेंगे।
इस दौरान युद्ध जैसी स्थितियां बनाई जाएंगी, जैसे- हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाना, लाइटें बंद कर ब्लैकआउट करना और नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की रिहर्सल।
क्रैश ब्लैकआउट के तहत बिजली पूरी तरह काटी जाएगी ताकि हवाई हमले के दौरान दुश्मन की निगाह से बचा जा सके। वहीं, अहम ठिकानों जैसे संसद, सैन्य बेस, रिफाइनरी और टावरों को ढकने की भी कैमोफ्लाज एक्सरसाइज होगी।
नागरिकों को दी जाएगी ट्रेनिंग
इसके अलावा, नागरिकों को ‘ड्रॉप एंड कवर’ जैसी तकनीकें सिखाई जाएंगी ताकि वे खतरे के समय सही निर्णय ले सकें। स्कूल, ऑफिस और सार्वजनिक स्थलों पर वर्कशॉप के माध्यम से ट्रेनिंग दी जाएगी। साथ ही, प्रशासनिक एजेंसियों के रिस्पॉन्स सिस्टम की भी समीक्षा की जाएगी।
इस अभ्यास के बाद राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को एक रिपोर्ट बनानी होगी जिसमें वे अपने कदम, अनुभव और सुधार की संभावनाएं बताएंगे।मॉक ड्रिल न केवल सरकार की तैयारियों को दिखाती है, बल्कि आम लोगों को भी सजग और सतर्क बनाती है ताकि किसी भी मुश्किल घड़ी में पूरे देश की एकजुटता और साहस सामने आ सके।