कानपुर पुलिस अब छोटे-मोटे अपराधों में संलिप्त युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने की योजना बना रही है। कमिश्नरेट पुलिस और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विभाग के सहयोग से इस पहल को अमल में लाया जाएगा। योजना के तहत 21 से 40 वर्ष की उम्र के उन युवाओं को चिन्हित किया जाएगा, जो अपराध छोड़कर एक बेहतर जीवन जीना चाहते हैं। इन युवाओं को आवश्यक प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता देकर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे। इस पहल के नोडल अधिकारी अपर पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) हरीश चन्दर होंगे।
इनको मिलेगा लाभ
जानकारी के मुताबिक, इस योजना का लाभ केवल उन्हीं युवाओं को मिलेगा जिन्होंने कम से कम आठवीं कक्षा तक की शिक्षा पूरी की हो। यदि किसी को विशेष प्रशिक्षण की जरूरत होगी, तो एमएसएमई विभाग के माध्यम से उसे आवश्यक कौशल सिखाया जाएगा।
थाना प्रभारियों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे समय-समय पर इन युवाओं से मिलकर उनकी प्रगति का मूल्यांकन करें और उन्हें प्रोत्साहित करें। इस योजना की निगरानी सहायक पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस उपायुक्त और पुलिस उपायुक्त स्तर के अधिकारी करेंगे।
पायलट प्रोजेक्ट में 260 युवाओं का चयन
इस योजना का पायलट प्रोजेक्ट ‘हौसला’ कार्यक्रम के तहत शुरू किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक थाने से पांच युवाओं को चिन्हित किया जाएगा। शहर के 52 थानों में कुल 260 ऐसे युवाओं को चिह्नित कर उनकी जानकारी पुलिस उपायुक्त को भेजी जाएगी। इन युवाओं और उनके परिवारों से बातचीत कर उन्हें मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान से जोड़ा जाएगा, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।
अपर पुलिस आयुक्त हरीश चन्दर ने कहा कि यह पहल अपराध को रोकने में मदद करेगी और युवाओं को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर देगी। कानपुर पुलिस इस योजना को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।