समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने और दहेज प्रथा के खिलाफ एक मजबूत संदेश देने के लिए आईपीएस राजकुमार मीणा ने एक अनूठी मिसाल पेश की। दरअसल, दौसा के सुरतपुरा निवासी और रेलवे में स्टेशन अधीक्षक रामकेश मीणा के पुत्र आईपीएस राजकुमार मीणा का विवाह भरतपुर जिले के निठार निवासी सहायक अभियंता प्रकाश चंद मीणा की पुत्री और आईएएस अधिकारी भारती मीणा के साथ तय हुआ था। इस विवाह में सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि दूल्हे ने दहेज लेने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया।
परिवार ने दिया साथ
जानकारी के मुताबिक, जब आईएएस और आईपीएस अफसर की इस शादी के दौरान जब परंपरागत रूप से दुल्हन पक्ष द्वारा दहेज देने की रस्म निभाने का समय आया, तो दूल्हे के पिता रामकेश मीणा ने इसे पूरी तरह अस्वीकार कर दिया। इसके बजाय, उन्होंने मात्र एक रुपये और नारियल शगुन के रूप में लेकर शादी को संपन्न किया। यह कदम समाज में एक नई चेतना लाने और दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण प्रयास था।
आदिवासी मीणा समाज के जिला उपाध्यक्ष कांजी मीणा ने बताया कि आईपीएस राजकुमार मीणा और आईएएस भारती मीणा ने बिना दहेज के शादी करके समाज को एक प्रेरणादायक संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि अक्सर समाज में बड़े लोगों से ही यह अपेक्षा की जाती है कि वे बदलाव की शुरुआत करें। जब समाज के उच्च पदों पर आसीन व्यक्ति इस प्रकार का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, तो इसका प्रभाव पूरे समुदाय पर पड़ता है।
उन्होंने आगे कहा कि जब भी आदिवासी समाज की बैठकें होती हैं, तो प्रमुख चर्चा का विषय यही रहता है कि दहेज प्रथा को समाप्त किया जाए। लेकिन इस नियम को लागू करने से पहले समाज के संपन्न और उच्च पदों पर आसीन लोगों को इसे अपनाना चाहिए, ताकि अन्य मध्यम वर्गीय और गरीब परिवारों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़े।
दहेज प्रथा को खत्म करने की पहल
इस विवाह के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि यदि समाज में बदलाव लाना है, तो इसकी शुरुआत हमें खुद से करनी होगी। आईपीएस और आईएएस अधिकारी होने के बावजूद राजकुमार और भारती मीणा ने इस परंपरा को अपनाने से इनकार किया और यह साबित किया कि शादी दो परिवारों का मिलन होता है, न कि लेन-देन का अवसर। उनका यह कदम समाज में एक नई सोच को जन्म देगा और आने वाले समय में अन्य परिवारों को भी दहेज मुक्त विवाह के लिए प्रेरित करेगा।