महाकुंभ में परिवार से बिछड़े लोगों को अपनों से मिला रहीं ये IPS, सोशल मीडिया की मदद से कर रहीं अच्छा काम

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महाकुंभ से 580 किमी दूर संभल में एडिशनल एसपी के रूप में तैनात युवा आईपीएस अफसर अनुकृति शर्मा ने अपनी कर्तव्यनिष्ठा और सामाजिक सरोकारों के प्रति गहरी संवेदनशीलता से इंसानियत की नई मिसाल कायम कर रहीं हैं। वो महाकुंभ में तैनात नहीं हैं, उसके बाद भी महाकुंभ मेले में अपनों से बिछड़े श्रद्धालुओं को उनके परिवार से मिलाने का अभियान उन्होंने अपनी निजी स्तर पर शुरू किया है, जो अब हजारों चेहरों की मुस्कान की वजह बन चुका है।

बन रहीं लोगों की मुस्कान की वजह

जानकारी के मुताबिक, 30 जनवरी से अनुकृति शर्मा ने अपने एक्स हैंडल पर उन बिछड़े हुए लोगों की तस्वीरें साझा करनी शुरू कीं, जिन्हें महाकुंभ में उनके परिवार से बिछड़ने के बाद खोया-पाया केंद्रों तक पहुंचाया गया था। कई परिवारों को इस बात की भनक तक नहीं थी कि उनके अपने कहां हैं। अनुकृति ने देशभर में फैले अपने बैचमेट्स और सोशल मीडिया फॉलोअर्स की मदद से इन लोगों को अपनों से मिलाने का बीड़ा उठाया। उनकी इस अनूठी पहल का नतीजा यह रहा कि भारत ही नहीं, नेपाल तक के श्रद्धालु भी सुरक्षित अपने घर लौट चुके हैं।

Mahakumbh Prayagraj 2025 Sambhal Additional SP Anukriti Sharma Journey from NASA to IPS Officer

अनुकृति का कहना है कि कुंभ में करोड़ों लोग आते हैं, और मेला प्रशासन व पुलिस अपने स्तर पर खोए हुए लोगों को मिलाने के लिए पूरी मेहनत कर रहे हैं।ऐसे में उन्हें भी महसूस हुआ कि अगर वह अपने निजी प्रयास से इसमें योगदान दे सकती हैं, तो यह उनके लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं।

पहले भी आ चुकी हैं सुर्खियों में

संयोग से यह कोई पहली बार नहीं है जब अनुकृति शर्मा अपने संवेदनशील कार्यों के लिए चर्चा में आई हैं। 2020 बैच की यह जांबाज अफसर कभी नासा में वैज्ञानिक थीं लेकिन समाज की सेवा का जुनून उन्हें आईपीएस तक ले आया। अपनी पहली ही पोस्टिंग से उन्होंने पुलिसिंग को सिर्फ कानून-व्यवस्था तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे एक मानवीय स्वरूप दिया।

बुलंदशहर में तैनाती के दौरान एक बुजुर्ग महिला, जो वर्षों से अंधेरे में रह रही थी, उनके घर रोशनी पहुंचाने का उनका प्रयास भी पूरे देश में चर्चा का विषय बना। उनके इस नेक कार्य का वीडियो लाखों लोगों तक पहुंचा और उनकी पहल की सराहना हुई। इसके अलावा,”पुलिस माई फ्रेंड” अभियान के जरिए उन्होंने जनता और पुलिस के बीच विश्वास की नई डोर बांधी, जिससे पुलिस की छवि सिर्फ वर्दीधारी अधिकारी की नहीं, बल्कि मददगार दोस्त की बनी।

 

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