“पूरा कुंभ उमड़ के आया, जहां विराजित रामलला”, कविता से माध्यम से IG प्रवीण कुमार ने साझा किया महाकुंभ का अनुभव

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आईजी प्रवीण कुमार, 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी, ने अयोध्या में प्रयागराज महाकुंभ के दौरान विशाल श्रद्धालु समूह के कुशल प्रबंधन में अहम योगदान दिया। राम मंदिर में 1.26 करोड़ श्रद्धालुओं के सुचारू दर्शन और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। कमिश्नर गौरव दयाल के साथ, वे लगातार एक महीने तक अयोध्या में उपस्थित रहे, भोर से देर रात तक अपनी जिम्मेदारियां निभाते रहे।

उन्होंने न केवल वरिष्ठ अधिकारियों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया, बल्कि पुलिस कर्मियों को भी श्रद्धालुओं से सम्मानपूर्वक व्यवहार करने और उनकी यात्रा को सुखद बनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने अपने अनुभवों को कविता के रूप में अभिव्यक्त किया, जिसे राम मंदिर ट्रस्ट ने विशेष रूप से एक वीडियो के रूप में प्रस्तुत किया।

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आइए आपको उनकी कविता दिखाते हैं –

ये है कविता

छोटा सा ये गर्भगृह, छोटे से मेरे रामलला।

पूरा कुंभ उमड़ के आया, जहाँ विराजित रामलला।

कोई चले प्रयागराज से और कोई काशी से।

पहुँच रहा है पूरा भारत, वाया सतना झांसी से।

पूरे भारत की दिखती सड़क मार्ग पर ही झाँकी।

होल्ड करे, फिर छोड़ा करती, सरहद सरहद पे खाकी।

अमेठी, प्रयागीपुर, यादवनगर और कूड़ेभार।

हलियापुर, बंकी संग गोंडा, बाँटा करते सारा भार।

रुकना कोई एक न चाहे, तुरंत पहुँचने को तैयार।

नए रास्ते खोज रहे, लिये जीपीएस बस और कार।

जितना लीकेज, उतनी डांटें, मिलती सबको बारंबार।

दिन और रात अनवरत श्रम से, हर एक शख्स हुआ दो-चार।

कोई आकुल, कोई व्याकुल, कब होंगे दर्शन दीदार।

अधिकांश श्रीराम नाम ले, करते बारी का इंतजार।

कोई पुलिस प्रशासन को मुक्तकंठ देता आभार।

तो कोई ज्ञानी परस रहा था, सोशल मीडिया पे उद्गार।

पहुँचे अयोध्या की पार्किंग, चतुर्दिक वाहन कतार।

एक सीमा से ज्यादा वाहन, तो हो जाए बंटाधार।

पंचकोस सा डायवर्जन है, पहुंचे जो टेढ़ी बाजार।

धर्मपथ से फटिक शिला, कच्चा घाट हुआ तैयार।

एलएचएस/आरएचएस में, रामपथ की छटा निहार।

थोड़ी दूरी अधिक समय में, श्रद्धालु करते थे पार।

भंवर बन रही पोस्ट ऑफिस पे, या थमता श्रृंगारहाट।

पल भर में नियंत्रण करती, खाकी महिमा अपरंपार।

बरनौली प्रमेय लगायी, क्राउड मैनेजमेंट के दीदार।

कितने आउटफ्लो में अपने, कितने इनफ्लो की दरकार।

एक-एक जनपद, एक-एक कर्मी, सौंप रहा था अपना सार।

तो क्या हुआ कुंभ ना पहुँचे, इनका दर्शन ही त्यौहार।

क्षण मात्र के दर्शन में ही, अनंत सुखों जैसा विस्तार।

जो भी निकला दर से प्रभु की, चेहरे पर आनंद निखार।

इसी बीच रेलवे ने भी, रेल चलायी बारंबार।

गोण्डा बस्ती जिनको जाना, वो भी पहुँचे प्रभु के द्वार।

एसएसएफ, पैरामिलिट्री, पीएसी और जल पुलिस।

सभी विभागों और जनता ने मिलकर कर दी नैय्या पार।

दो मिनट के परदे में ही, रामलला लेते आहार।

शयन आरती के भी बाद, दर्शन देने को तैयार।

हर एक दिन एक नई प्रेरणा, नई परिस्थिति।

https://x.com/Praveenupips/status/1900045174501499323

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