सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सोमवार, 7 अप्रैल 2025 को उत्तर प्रदेश में सिविल मामलों को आपराधिक केस में बदलने की प्रवृत्ति पर गहरी नाराजगी जताई। एक विशेष सुनवाई के दौरान उन्होंने यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए चेतावनी दी कि उत्तर प्रदेश में यह चलन बन गया है कि रोज़ाना सिविल विवादों को आपराधिक आरोपों में तब्दील किया जा रहा है, जो पूरी तरह अनुचित है। उन्होंने इस प्रकार की चार्जशीट दाखिल करने की पद्धति पर भी सवाल खड़े किए और इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर को कटघरे में बुलाने तक की बात कही।
सीजेआई ने कहा ये
सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में मुकदमों को लेकर जो हो रहा है, वो गलत है। हर दिन सिविल केस आपराधिक मुकदमों में तब्दील हो रहे हैं। ये बहुत बेतुकी बात है, सिर्फ पैसे न दे पाने को अपराध नहीं कह सकते हैं। मैं आईओ से भी कटघरे में आने के लिए कहूंगा।
आईओ को कटघरे में खड़ा करो और आपराधिक मामला बनाओ। हम ये निर्देश देते हैं, उन्हें भी तो सबक मिले, ये कोई तरीका नहीं है चार्जशीट फाइल करने का। चौंकाने वाली बात तो ये है कि आए दिन यूपी में ये हो रहा है, वकील भूल गए हैं कि नागरिक क्षेत्राधिकार भी है।
मुख्य न्यायाधीश ने यह स्पष्ट किया कि वे राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) को निर्देश देंगे कि इस प्रवृत्ति पर तत्काल रोक लगाई जाए। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस को अदालत के निर्देशों का पालन करते हुए दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करना होगा, और मामले की अगली सुनवाई 5 मई को निर्धारित की गई है।
वकील ने जताई आपत्ति
यूपी पुलिस की ओर से कोर्ट में पेश वकील ने सीजेआई की टिप्पणी पर आपत्ति जताई, लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया कि हलफनामा दाखिल करना अनिवार्य है। साथ ही, जब तक मामले की जांच पूरी नहीं होती, तब तक आरोपियों के विरुद्ध कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।