राजधानी लखनऊ में कानून व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं। मामला 29 मई की रात का है, जब स्टेडियम पुलिस चौकी में तैनात सिपाही अर्जुन चौरसिया पर चार युवकों ने हमला कर दिया। बताया गया कि ये चारों युवक एक सफेद इनोवा कार में सवार थे और चौकी के पास आपस में झगड़ रहे थे।
जब सिपाही ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, तो युवकों ने उसे गालियां दीं और चौकी के भीतर घसीट कर ले गए। न सिर्फ मारपीट की गई, बल्कि उसकी वर्दी भी फाड़ दी गई और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। ये मामला अब इसलिए उठ रहा है क्योंकि एफआईआर की कॉपी में कुछ झोल हुआ है।
चौथा आरोपी अज्ञात
सबसे गंभीर बात ये है कि आरोपियों में से एक एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का बेटा है, लेकिन एफआईआर में उसका कोई नामोनिशान नहीं है।
एफआईआर में केवल तीन युवकों—जयप्रकाश सिंह, अभिषेक चौधरी और सुमित कुमार—का नाम दर्ज है, जबकि चौथे को अज्ञात बताया गया है। लगभग दो सप्ताह बीत जाने के बावजूद पुलिस अभी तक उस ‘अज्ञात’ की पहचान नहीं कर पाई है।
FIR में सिपाही ने कहा ये
सिपाही अर्जुन चौरसिया ने FIR में कहा- 29 मई की रात मैं पालीगंज-6 पर मौजूद था। मैं गश्त करते हुए पुलिस चौकी स्टेडियम के पास पहुंचा। वहां एक सफेद रंग की इनोवा गाड़ी खड़ी थी, जिसमें चार लोग सवार थे। चारों किसी बात को लेकर आपस में झगड़ रहे थे।
मैंने उन्हें शांत कराने की कोशिश की, तो वे भड़क गए और मुझे ही गालियां देने लगे। अचानक चारों मुझ पर हमलावर हो गए। मुझे ‘कुत्ता’ कहा। फिर जबरन मुझे स्टेडियम चौकी पर ले जाने लगे और बोले- आओ, इसे इसकी चौकी में ही पीटते हैं।’ इसके बाद चारों ने मिलकर मुझे बहुत मारा-पीटा और मेरी वर्दी फाड़ दी।
पुलिस चौकी के अंदर रखी सरकारी संपत्ति को इधर-उधर फेंक दिया। इसके बाद मुझे जान से मारने की धमकी देते हुए फिर पीटा। शोर-शराबा सुनकर थाने से पुलिस चौकी पर पहुंची और मेरा बचाव किया। इसी बीच उनमें से एक व्यक्ति सफेद रंग की चार पहिया गाड़ी लेकर भाग गया।
सभी आरोपी मुचलके पर छोड़े गए
सूत्रों के अनुसार, वारदात के बाद जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो चारों युवकों को थाने ले जाया गया। इसके कुछ देर बाद बड़े अफसर अपनी पत्नी के साथ थाने पहुंचे। पत्नी ने थाने में जमकर हंगामा किया और फिर अपने बेटे को लेकर निकल गईं। बताया जा रहा है कि सभी आरोपी नशे में थे और थाने से निजी मुचलके पर छोड़ दिए गए।