फर्रुखाबाद की पुलिस अधीक्षक आरती सिंह हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट की कड़ी प्रतिक्रिया का सामना कर रही हैं। ये विवाद एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका से जुड़ा है, जिसमें याचिकाकर्ता प्रीति यादव ने पुलिस द्वारा उत्पीड़न और अवैध हिरासत का गंभीर आरोप लगाया है। मामले में न्यायालय ने पुलिस के दुरुपयोग को गंभीरता से लेते हुए इसे रोकने के लिए कड़ा रुख अपनाया है।
ये है मामला
जानकरी के मुताबिक, फर्रुखाबाद निवासी प्रीति ने बताया कि 8 सितंबर की रात पुलिस के कुछ अधिकारी उनके घर पहुंचे और उनके परिवार के दो सदस्यों को हिरासत में ले लिया गया, जिन्हें लगभग एक सप्ताह तक बिना कानूनी कार्रवाई के रखा गया। साथ ही, उन्हें जबरदस्ती एक ऐसा बयान लिखवाया गया, जिसमें कहा गया कि वे पुलिस के खिलाफ कोई शिकायत या याचिका नहीं करेंगी।
इस मामले की सुनवाई के दौरान, इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जे जे मुनीर और संजीव कुमार शामिल हैं, ने पुलिस की इस मनमानी पर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने एसपी आरती सिंह को मामले में स्पष्टीकरण देने के लिए तलब किया और उन्हें व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ता प्रीति यादव ने कोर्ट में पुष्टि की कि याचिका वापस लेने के लिए उन पर दबाव बनाया गया था, जिसके लिए पुलिस ने उनके पति को गिरफ्तार कर लिया था। इस पर कोर्ट ने इस गंभीर मामले को न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप मानते हुए पुलिस अधिकारियों से जवाब तलब किया।
आज एसपी देंगी जानकारी
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अपर महाधिवक्ता अमित कुमार सक्सेना ने याचिकाकर्ता के आरोपों के जवाब के लिए 24 घंटे की मोहलत मांगी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। कोर्ट ने एसपी आरती सिंह को आदेश दिया कि वे बुधवार को यानी कि आज अपनी पूरी टीम के साथ अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहें और पूरी जानकारी दें।