मेरठ की बुढाना गेट पुलिस चौकी में तैनात रही महिला दरोगा अमृता यादव को रिश्वतखोरी के संगीन मामले में आखिरकार नौकरी से हाथ धोना पड़ा। डीआईजी कलानिधि नैथानी ने 4 मई 2025 को उनके खिलाफ बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया। इस कार्रवाई को उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में कड़ा संदेश माना जा रहा है कि भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
ये था मामला
मामला वर्ष 2017 का है जब अमृता यादव मेरठ कोतवाली क्षेत्र में तैनात थीं। एक युवक समीर ने शिकायत दी कि अमृता ने मुकदमे की गंभीर धाराएं हटाने के एवज में उससे एक लाख रुपए की मांग की। अंततः 20 हजार रुपये की रकम तय हुई और समीर ने इसकी सूचना एंटी करप्शन टीम को दी। टीम ने योजना बनाकर अमृता यादव को रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया।
इस मामले में 2024 में अदालत ने अमृता को सात साल की कठोर कारावास और 75 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस समय अमृता यादव बागपत जेल में बंद हैं। इसके बाद डीआईजी ने विभागीय नियमावली के तहत कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया।
जानकारी के अनुसार, अमृता पर इससे पहले भी रिश्वत के आरोप लग चुके थे, लेकिन तब बच निकलने में सफल रही थीं। अब जबकि अदालत ने उन्हें दोषी ठहरा दिया, विभागीय कार्रवाई भी पूरी कर दी गई।
डीआईजी ने दिया संदेश
डीआईजी नैथानी ने कहा कि पुलिस विभाग में गलत आचरण और भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। कोई भी अधिकारी या कर्मचारी अगर अपराध में लिप्त पाया गया, तो उसे सेवा से बाहर कर दिया जाएगा।