पुलिस की भूमिका कानून व्यवस्था बनाए रखने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की होती है। हालांकि, पुलिस को कई अधिकार दिए गए हैं, लेकिन उन्हें इनका उपयोग कानून के दायरे में ही करना होता है। किसी को थप्पड़ मारना या शारीरिक दंड देना एक गंभीर मुद्दा है और यह भारतीय कानून के अनुसार अनुचित और गैरकानूनी हो सकता है।
नहीं उठा सकते हाथ
भारतीय संविधान के के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। पुलिस द्वारा किसी भी प्रकार की मारपीट या हिंसा इस अधिकार का उल्लंघन मानी जाती है। पुलिस को केवल कानून के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए। किसी भी व्यक्ति को सजा देने का अधिकार केवल न्यायालय का होता है, पुलिस का नहीं।
कोर्ट ने कई बार जारी किए हैं निर्देश
मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 को नागरिकों को पुलिस की ज्यादती से बचाने के लिए बनाया गया है। अगर पुलिस किसी व्यक्ति के साथ हिंसा करती है, तो यह मानव अधिकारों का उल्लंघन माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने कई बार कहा है कि पुलिस हिरासत में हिंसा या किसी प्रकार की प्रताड़ना असंवैधानिक और दंडनीय है। डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य ने 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत में किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए।
अगर पुलिस आपको थप्पड़ मारे तो क्या करें
यदि कोई पुलिसकर्मी आपपर हाथ उठाता है तो पुलिस के खिलाफ जिला पुलिस अधीक्षक (SP) या पुलिस कमिश्नर को शिकायत करें। चाहें तो मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission – NHRC) में भी शिकायत कर सकते हैं। अगर पुलिस आपकी शिकायत दर्ज नहीं करती, तो आप मजिस्ट्रेट के पास जाकर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आप पुलिसकर्मी के खिलाफ आप धारा 166A IPC के तहत कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं, जिसमें पुलिस द्वारा की गई ज्यादती के लिए दंड का प्रावधान है।