सितंबर 2010 में उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब तत्कालीन एसपी ट्रैफिक, कल्पना सक्सेना, पर उनके ही अधीनस्थ पुलिसकर्मियों ने जानलेवा हमला किया। लगभग 15 वर्षों के लंबे कानूनी संघर्ष के बाद आज यानी कि 24 फरवरी 2025 में विशेष अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया। मामले में अदालत ने चारों दोषियों को 10-10 साल की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला ?
गंभीर रूप से हुईं थी घायल
जानकारी के मुताबिक, बरेली जिले में यह घटना उस समय हुई जब एसपी सक्सेना को सूचना मिली कि नकटिया क्षेत्र में कुछ पुलिसकर्मी ट्रक चालकों से अवैध वसूली कर रहे हैं। मौके पर पहुंचकर, उन्होंने सिपाहियों को रंगे हाथों पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन सिपाही मनोज कुमार ने कार चलाते हुए उन्हें रोकने की कोशिश की, जिससे एसपी सक्सेना करीब 20 मीटर तक घसीटती चली गईं और गंभीर रूप से घायल हो गईं।
इस घटना के बाद, सिपाही मनोज कुमार सहित अन्य आरोपी सिपाहियो रविंद्र सिंह, रावेंद्र सिंह, और मनोज के टेंपो चालक भाई धर्मेंद्र के खिलाफ जानलेवा हमला, सरकारी कार्य में बाधा डालने, और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
प्रारंभिक कार्रवाई में, तीनों सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर इन सिपाहियों को बहाल कर दिया गया था। इसके बावजूद, विभागीय जांच के पश्चात, दिसंबर 2021 में तत्कालीन एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने तीनों सिपाहियों रविंद्र सिंह, रावेंद्र सिंह, और मनोज कुमार को सेवा से बर्खास्त कर दिया।
आज मिली सजा
लगभग 15 वर्षों के लंबे कानूनी संघर्ष के बाद, फरवरी 2025 में विशेष अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया। अदालत ने चारों दोषियों को 10-10 साल की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया। वर्तमान में आईपीएस अधिकारी कल्पना सक्सेना गाजियाबाद में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं। उनकी दृढ़ता और साहस ने इस मामले में न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो कानून व्यवस्था बनाए रखने और पुलिस बल में अनुशासन स्थापित करने के लिए एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है।