ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पहलगाम आतंकी हमले का जवाब देते हुए 6 और 7 मई की रात पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया। इस निर्णायक कार्रवाई में राफेल लड़ाकू विमानों और क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के शिविरों को पूरी तरह खत्म कर दिया गया।
इस सफल ऑपरेशन के बाद सेना की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई, जिसमें दो महिला अधिकारी—कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन की जानकारी देशवासियों के सामने रखी। आइए, जानते हैं इन दो जांबाज़ अफसरों के बारे में।
कर्नल सोफिया कुरैशी: शांति से लेकर स्ट्राइक तक की नायिका
गुजरात से ताल्लुक रखने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की सिग्नल कोर की अधिकारी हैं। उनका सैन्य जीवन प्रेरणादायक मिसाल है। सेना में सेवा देना उनके खून में रहा—दादा और पिता भी सैनिक रह चुके हैं। इसी सैन्य विरासत ने उन्हें 1999 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से कमीशन प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।
सोफिया का करियर सिर्फ युद्ध मोर्चों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन में भी मिलिट्री ऑब्जर्वर के रूप में भूमिका निभाई। उन्होंने ऑपरेशन पराक्रम के दौरान पंजाब सीमा पर और पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ राहत अभियानों में भी नेतृत्व किया। उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें Signal Officer-in-Chief कमेंडेशन कार्ड से सम्मानित किया गया।
सोफिया पहली भारतीय महिला अधिकारी बनीं जिन्होंने विदेशी सैन्य अभ्यास में भारतीय टुकड़ी का नेतृत्व किया। मार्च 2016 में ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ के दौरान उन्होंने 40 सदस्यीय दल का नेतृत्व किया, जिसमें 18 देशों की सेनाएं शामिल थीं। ऑपरेशन सिंदूर में उनकी रणनीतिक भूमिका ने उन्हें एक बार फिर देश के सामने ला खड़ा किया, जहां उन्होंने प्रेस को संबोधित कर बताया कि यह स्ट्राइक पहलगाम के शहीदों को न्याय दिलाने के लिए थी।
विंग कमांडर व्योमिका सिंह: आकाश की वीरांगना
भारतीय वायुसेना की हेलिकॉप्टर पायलट विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने भी ऑपरेशन सिंदूर के बाद मीडिया को जानकारी दी। व्योमिका का सपना आसमान छूने का था, जिसे उन्होंने NCC से प्रेरणा लेकर साकार किया। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद वे 2019 में वायुसेना में फ्लाइंग ब्रांच में स्थायी कमीशन प्राप्त करने वाली अफसर बनीं।
उन्होंने अब तक 2500 से ज्यादा घंटे की उड़ान भरी है और चेतक व चीता हेलिकॉप्टर उड़ाकर कठिन इलाकों जैसे जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल में मिशन चलाए हैं। वे 2020 में बाढ़ राहत अभियान और 2021 के त्रिसेना महिला पर्वतारोहण मिशन का हिस्सा भी रही हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उनकी भूमिका सिर्फ तकनीकी नहीं थी, बल्कि उन्होंने नेतृत्व, समन्वय और साहस का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बेहद संतुलित और स्पष्ट भाषा में मिशन की सफलता का विवरण दिया, जो उनकी प्रोफेशनल निपुणता का परिचायक था।