मथुरा में रंगभरी एकादशी के अवसर पर भगवान राधा कृष्ण की भूमि वृंदावन और बांके बिहारी मंदिर में में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। पांच कोस की परिक्रमा में स्थिति ऐसी रही कि पैर रखने की जगह नहीं। पूरे परिक्रमा मार्ग में श्रद्धालु भगवान के भजन गाते हुए रंग गुलाल उड़ाते हुए परिक्रमा दे रहे थे। रंगभरी एकादशी पर्व से मथुरा वृंदावन के मंदिरों में भी जमकर रंग गुलाल उड़ाया गया। मथुरा के एसएसपी शैलेश पांडेय खुद भरी पुलिस के साथ भक्तों की सुरक्षा व्यस्था में तैनात दिखे। इस बार 12 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने कृष्ण नगरी मथुरा में रंगोत्तसव का नया रंग देखा ।
2000 से ज्यादा पुलिस कर्मी तैनात
वृंदावन की परिक्रमा देने आये भक्तों के कारण पूरा रास्ता श्रद्धालुओं से भरा नजर आया। स्थिति ऐसी रही कि पूरे 5 कोस के परिक्रमा मार्ग में पैर रखने की जगह नहीं थी। भक्त परिक्रमा दे रहे थे और उड़ा रहे थे जमकर रंग गुलाल। परिक्रमा मार्ग में उमड़ी भीड़ को संभालने के लिए कड़े सुरक्षा के इंतजाम किये गए थे। श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो इसके लिए 2000 से ज्यादा पुलिस कर्मी तैनात किये गए थे। इसके अलावा RSS से जुड़े स्वयं सेवक भी व्यवस्था संभालने में जुटे हुए थे। स्वयं सेवक अटल्ला चौक और रमणरेती चौक पर श्रद्धालुओं को सुरक्षित रास्ता पार करा रहे थे।
भक्तों के साथ बांके बिहारी ने खेली होली
रंगभरी एकादशी से बांके बिहारी मंदिर में भी गीले रंग से होली खेलना शुरू हो गया। यहां टेसू के फूलों से बनाये गए प्राकृतिक रंग से होली खेली गयी। गर्भ गृह से निकलकर भगवान बांके बिहारी को जगमोहन में चांदी के सिंहासन पर विराजमान किया गया। यहां भगवान बांके बिहारी ने चांदी की पिचकारी से भक्तों के साथ प्रतीकात्मक रूप से होली खेली। रंगभरी एकादशी पर्व पर राधाबल्लभ मंदिर से भगवान राधा कृष्ण का डोला निकला। बग्गी पर विराजमान होकर भगवान राधा कृष्ण के स्वरूप शहर में होली खेलने निकले। इस दौरान राधा कृष्ण के स्वरूप ने जमकर गुलाल रास्ते भर उड़ाया।
श्रद्धालु खुद को थिरकने से नहीं रोक सके
मथुरा में पुष्टि मार्गीय सम्प्रदाय के मंदिर द्वारिकाधीश में भी रंगभरी एकादशी पर होली खेली गयी। यहां भगवान द्वारिकाधीश को कुञ्ज में विराजमान किया गया। जहां से भगवान ने भक्तों के साथ होली खेली गयी। इस दौरान मंदिर परिसर में ढप और नगाड़ा भी बजाया गया। द्वारिकाधीश मंदिर में होली के दौरान मौजूद श्रद्धालु खुद को थिरकने से नहीं रोक सके। राधाबल्लभ मंदिर से निकलने वाले होली के डोला की परंपरा 400 वर्ष पुरानी है। यहां भगवान राधा कृष्ण रास मंडल से निकलकर होली खेलते हैं। पहले हाथी पर बैठकर भगवान शहर में होली खेलने निकलते थे लेकिन समय परिवर्तन के कारण बग्गी में बैठकर डोला निकाला जाता है।
बृज में खेली जाने वाली होली की अलग अलग झलक
भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली श्री कृष्ण जन्मस्थान पर सतरंगी होली की छटा देखने को मिली। यहां केशव वाटिका में होली का कार्यक्रम आयोजित किया गया। मंच पर कलाकारों ने बृज में खेली जाने वाली होली की अलग अलग झलक प्रस्तुत की। यहां फूल होली,मयूर नृत्य,चरकुला नृत्य,लट्ठमार होली और रंग गुलाल से होली खेली गयी।