उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो चुकी है. सत्संग वाले ‘भोले बाबा’ हादसे के बाद से ही फरार हैं. इस बीच बताया जा रहा है कि आयोजनकर्ताओं ने 80 हजार की भीड़ के लिए अनुमति मांगी थी. आयोजनकर्ता को तय मानकों के मुताबिक बहुत सारी व्यवस्था करनी चाहिए थीं, जो सत्संग के दौरान नहीं की गई.
यह लापरवाहियां आईं सामने
1. पहले एग्जिट और एंट्री पॉइंट नहीं बनाया गया.
2. मार्किंग करके पाइंट्स बनाए जाते हैं. लेकिन कहीं मार्किंग नजर नहीं आई.
3. इमरजेंसी रास्ता नहीं बनाया गया.
4. 80 हजार लोगों के हिसाब से मेडिकल टीम नहीं थी.
5. मेडिकल टीम थी भी या नहीं, यह भी जांच का विषय है.
6. कम से कम 5 एंबुलेंस होनी चाहिए थीं, जो नहीं थीं.
7. भीड़ के हिसाब से कूलर और पंखे की व्यवस्था नहीं थी.
8. भीड़ के हिसाब से वॉलंटियर कम थे.
9. प्रशासन की तरफ से फोर्स भी ना के बराबर लगाई गई थी.
10. खाने पीने का उचित इंतजाम नहीं था.
11. जिस रास्ते से बाबा का काफिला गुजरा उस पर कोई बैरिकेडिंग नहीं थी.
12. आयोजकों ने जो अनुमति ली, उसमें सभी बातों का जिक्र नहीं था.
13. पूरे मैदान को समतल करके कम से कम 10 एकड़ जगह को बराबर करना था, जो नहीं किया गया.
14. मैदान के चारों तरफ आने-जाने के रास्ते बनाने थे, लेकिन नहीं बनाए गए. बस छोटा सा कच्चा रास्ता बनाया गया था.
15. अनुमति लेने और देने दोनों में बड़े स्तर पर लापरवाही की गई.
सेवादारों की फौज का नाम नारायणी सेना
बता दें कि बाबा अपनी सुरक्षा के लिए महिला और पुरुष गार्ड साथ रखते हैं. उन्होंने अपनी सुरक्षाकर्मियों की टीम को नारायणी सेना नाम दिया है. ये सेना आश्रम से लेकर प्रवचन स्थल तक बाबा की सेवा करती है. भोले बाबा अपने सेवादारों को ही अपनी सुरक्षा में रखते हैं. सेवादार एक तरह का ड्रेस कोड ही पहनते हैं जो की भोले बाबा के सत्संग में पूरी व्यवस्थाएं सेवादारों के हाथ में ही होती है. कुछ शिष्य पुलिस से भी हैं, इनमें से कुछ मौका मिलने पर प्रवचन के वक्त आ जाते थे. प्रवचन स्थल तक बाबा के लिए अलग से एक रास्ता भी बनाया गया था. इस मार्ग पर बाबा का काफिला ही निकलना था. इसके अलावा किसी को जाने की अनुमति नहीं थी