सुप्रीम कोर्ट ने 21 फरवरी 2025 को उत्तर प्रदेश पुलिस को निर्देश दिया कि वह गैंगस्टर अधिनियम के तहत विधायक अब्बास अंसारी के खिलाफ दर्ज मामले की जांच 10 दिनों के भीतर पूरी करे। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि जांच पूरी होने के बाद ही अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर विचार किया जाएगा।
कोर्ट से किया था अनुरोध
जानकारी के मुताबिक, अब्बास अंसारी ने 31 जनवरी को मुठभेड़ के डर से अधीनस्थ अदालत से अनुरोध किया था कि उन्हें डिजिटल माध्यम से पेश होने की अनुमति दी जाए। इससे पहले, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 18 दिसंबर 2024 को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इस मामले में अंसारी और उनके सहयोगियों पर अवैध तरीके से आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए गिरोह बनाने का आरोप लगाया गया था।
इस मामले में केस दर्ज
यह मामला 31 अगस्त 2024 को चित्रकूट जिले के कोतवाली कर्वी थाने में दर्ज हुआ था। इस प्राथमिकी में अब्बास अंसारी के अलावा नवनीत सचान, नियाज अंसारी, फराज खान और शाहबाज आलम खान के नाम शामिल थे। सभी के खिलाफ उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एवं असामाजिक क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम, 1986 की धारा 2 और 3 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
अंसारी पर जबरन वसूली और मारपीट जैसे गंभीर आरोप लगे थे। पुलिस ने इस मामले में 6 सितंबर 2024 को अब्बास अंसारी को गिरफ्तार कर लिया था।
बता दें कि अब्बास अंसारी मऊ निर्वाचन क्षेत्र से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के विधायक हैं। उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि मामले की जांच अभी चल रही है और फिलहाल जमानत देना उचित नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस नए निर्देश के बाद अब उत्तर प्रदेश पुलिस को जल्द से जल्द जांच पूरी करनी होगी ताकि आगे की कानूनी प्रक्रिया बढ़ सके।