मुंबई में बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद यूपी में लॉरेंस बिश्नोई के कितने गुर्गे सक्रिय हैं, इसे लेकर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। इस गैंग के स्लीपिंग मॉड्यूल कहां-कहां हैं? किस तरह से अपना गैंग बढ़ा रहा है, इसकी भी जानकारी एजेंसियां जुटा रही हैं। यूपी में लॉरेंस बिश्नोई की सक्रियता तब सामने आई थी, जब 2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान सपा प्रत्याशी अभय सिंह पर कथित रूप से हमला हुआ था। हालांकि, इसे भाजपा और सपा की राजनीतिक लड़ाई के तौर पर देखा गया था। लेकिन, बाद में विधायक चुने गए अभय सिंह ने लॉरेंस बिश्नोई से खुद की जान को खतरा बता कर सनसनी फैला दी थी। अभय सिंह ने पूर्वांचल के एक माफिया पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा था कि वह लॉरेंस के जरिए उनकी हत्या कराना चाहते हैं।
माफिया के साथ गैंग तो नहीं बना रहा बिश्नोई
सपा के विधायक के आरोप के बाद यह संभावना भी जताई जाने लगी थी कि लॉरेंस बिश्नोई यूपी के माफिया के संपर्क में है। पहले भुल्लर के जरिए मुख्तार अंसारी से रिश्ते, फिर अभय सिंह के पूर्वांचल के एक अन्य माफिया पर आरोप। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि बिश्नोई यूपी के बाहुबलियों और माफिया के जरिए यूपी में अपनी जमीन मजबूत करना चाहता है। NIA ने लॉरेंस बिश्नोई से जब पूछताछ की थी, उस समय उसने यूपी के अयोध्या के रहने वाले विकास सिंह देवगढ़ का नाम लिया था। बाद में NIA ने विकास के ठिकानों पर छापेमारी कर उसे गिरफ्तार कर लिया था। जानकारों का कहना है, विकास सिंह देवगढ़ के जरिए बिश्नोई अपने लोगों को अयोध्या और उसके आसपास के इलाकों में पनाह देता रहा है। विकास सिंह मूलरूप से अयोध्या के देवगढ़ का रहने वाला है। देवगढ़ के अलावा उसके अयोध्या और लखनऊ में भी ठिकाने हैं। अयोध्या के आसपास लॉरेंस ने विकास के जरिए अपना अच्छा-खासा नेटवर्क बना लिया है। बताया यह भी जा रहा है कि बिश्नोई नेपाल में अपने शूटरों को ट्रेनिंग दिलवाता है। उस लिहाज से भी पूर्वी उत्तर प्रदेश उसके लिए बेहतर पनाहगाह हो सकता है। सूत्रों का कहना है, लॉरेंस यूपी के अलावा राजस्थान, हरियाणा, पंजाब में अपना नेटवर्क खड़ा कर रहा है। विकास सिंह NIA के एक केस में फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है।
रिमांड पर क्यों नहीं ले पा रही पुलिस?
लॉरेंस बिश्नोई को फिलहाल किसी अन्य राज्य की पुलिस रिमांड पर नहीं ले सकती। इसका मुख्य कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय का एक आदेश है, जो अहमदाबाद की साबरमती जेल से बिश्नोई को शिफ्ट करने पर रोक लगाता है। यह आदेश शुरू में अगस्त, 2024 तक प्रभावी था, लेकिन बाद में इसकी मियाद बढ़ा दी गई। बिश्नोई को अगस्त, 2023 में सीमा पार से ड्रग्स की तस्करी के आरोप में तिहाड़ से साबरमती जेल शिफ्ट किया गया था। तब से वह साबरमती जेल में बंद है। समाजवादी पार्टी के विधायक (अब बागी) अभय सिंह कहते हैं- लॉरेंस बिश्नोई का यूपी में सबसे पुराना दोस्त पूर्वांचल का एक माफिया है। उससे लॉरेंस की दोस्ती तब की है, जब वह जेल भी नहीं गया था। 2022 के चुनाव के दौरान हमारे काफिले पर हमला हुआ था। बाद में शूटरों की तस्वीरें सामने आईं। तब पता चला कि यह लॉरेंस बिश्नोई के लोग थे, जिन्होंने फायरिंग की थी। अभय का कहना है, जांच एजेंसियों को पता लगाना चाहिए कि विकास के यहां कौन-कौन आता था? उससे उसके क्या रिश्ते हैं? अभय को इस समय केंद्र सरकार से Y कैटेगरी की सुरक्षा मिली हुई है।
जेल के हाई सिक्योरिटी जोन में बंद है लॉरेंस
अतीक-अशरफ की प्रयागराज में हत्या। पश्चिम के माफिया जीवा की लखनऊ की अदालत में हत्या। अब बाबा सिद्दीकी की हत्या का यूपी कनेक्शन। अगर इन सब में लॉरेंस बिश्नोई का हाथ है, तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह यूपी में पैर पसार चुका है। वह यहां अपने स्लीपिंग मॉड्यूल तैयार कर रहा है। अतीक-अशरफ की हत्या में जो शूटर पकड़े गए थे, वे मूलरूप से प्रतापगढ़ के थे। यानी एक तरफ अयोध्या से बहराइच तक, दूसरी ओर प्रतापगढ़ से प्रयागराज तक लॉरेंस बिश्नोई के नाम की चर्चा है। बिश्नोई गैंग का सरगना लॉरेंस बिश्नोई पिछले डेढ़ साल से अहमदाबाद (गुजरात) की साबरमती जेल में बंद है। यूपी के गैंगस्टर अतीक अहमद ने भी इसी जेल में रहते हुए वीडियो कॉल करके एक शख्स की हत्या करवा दी थी। उसका पूरा वीडियो यूपी पुलिस की जांच में भी सामने आया था। यह मुद्दा गर्माने के बाद अतीक अहमद को साबरमती जेल से यूपी लाया गया था। बाद में मेडिकल कराने जाते समय उसकी हत्या हो गई थी।