गोरखपुर पुलिस जोन को नया नेतृत्व मिल गया है। शनिवार को 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी मुथा अशोक जैन ने गोरखपुर में एडीजी जोन का कार्यभार ग्रहण कर लिया। सर्किट हाउस पहुंचने पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने कार्यालय में पूर्व एडीजी डॉ. के एस प्रताप कुमार से चार्ज लिया।
अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई और महिला सुरक्षा एडीजी की प्राथमिकता
पदभार ग्रहण करते ही मुथा अशोक जैन ने अपने काम की दिशा स्पष्ट कर दी। उन्होंने साफ किया कि अपराध पर लगाम कसना, महिला सुरक्षा सुनिश्चित करना और गौ-तस्करी जैसे अपराधों पर पूरी तरह अंकुश लगाना उनकी पहली प्राथमिकताओं में शामिल होगा।
चूंकि गोरखपुर नेपाल सीमा से सटा हुआ इलाका है, ऐसे में सीमाई क्षेत्रों में चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। एडीजी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर होने वाली संदिग्ध गतिविधियों पर विशेष नजर रखी जाएगी।
पहले भी गोरखपुर में रह चुके हैं डीआईजी
मुथा अशोक जैन पहले भी वर्ष 2012-13 में गोरखपुर में डीआईजी रह चुके हैं। उस दौरान उनके नेतृत्व में अपराध नियंत्रण की दिशा में कई अहम पहल की गई थी। अब बतौर एडीजी उनकी वापसी से पुलिस महकमा एक बार फिर सक्रियता और अनुशासन की उम्मीद कर रहा है।
आंध्र प्रदेश के गुंटूर में जन्मे मुथा अशोक जैन ने बीकॉम के बाद आईआईएम लखनऊ से एमबीए किया। वे 1995 में भारतीय पुलिस सेवा में आए और अपने करियर की शुरुआत वाराणसी में एसपी सिटी के रूप में की। इसके बाद वे इलाहाबाद, मुज़फ्फरनगर, इटावा, कानपुर, जौनपुर, फर्रुखाबाद और ललितपुर जैसे जिलों में एसपी व एसएसपी रह चुके हैं।
केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति के दौरान उन्होंने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में डिप्टी डायरेक्टर जनरल के रूप में सेवा दी। इस दौरान उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच की, जिनमें सुशांत सिंह राजपूत और आर्यन खान से जुड़े ड्रग केस शामिल हैं।
गोरखपुर में कानून-व्यवस्था को नई धार देने की तैयारी
जनवरी 2022 में उन्हें एडीजी के पद पर पदोन्नत किया गया और मार्च 2024 से वे भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड में कार्यरत थे। अब गोरखपुर में जोनल एडीजी के रूप में उनकी तैनाती से प्रशासन को अपराध नियंत्रण, महिला सुरक्षा और सीमाई क्षेत्रों में निगरानी जैसे मामलों में निर्णायक पहल की उम्मीद है।