Arvind Kejriwal को गिरफ्तार करने वाली ED जानें कितनी है ताकतवर…

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शराब नीति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की टीम ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया है. अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी मार्लेना का कहना है, ईडी ने सीएम को गिरफ्तार किया है। पिछले कुछ सालों में ईडी का नाम आए दिन चर्चा में रहने लगा है. दिल्ली सरकार से पहले भी कई राज्य सरकारों से जुड़े मामलों में भी ईडी ने एक के बाद एक कार्रवाई की. फरवरी में झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन को 5 दिन की ईडी हिरासत में भेजा गया था. इसी बहाने आइए जान लेते हैं कि कैसे हुई ईडी की शुरुआत, कौन है इसका प्रमुख, कैसे काम करती है यह एजेंसी और कितनी पावरफुल है ED?

क्या है ED और कैसे हुई शुरुआत?

ED यानी एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट, भारत सरकार के तहत काम करने वाली एजेंसी है. यह वित्त मंत्रालय के रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अंडर में काम करती है. आर्थिक अपराध और विदेशी मुद्रा कानून के उल्लंघन की जांच के लिए यह एजेंसी बनाई गई थी. कभी भी पैसों को लेकर कोई भी गड़बड़ी होती है तो इसके पूरे मामले में ईडी नजर रखते हुए कार्रवाई करती है. इसकी शुरुआत 1 मई 1956 को हुई थी, तब इसे एन्फोर्समेंट यूनिट नाम दिया गया था. इसकी दो ब्रांच थी, मुंबई और कलकत्ता (अब कोलकाता) में. 1957 में इसका नाम बदलकर एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट किया गया और 1960 में इसका एक ऑफिस मद्रास (अब चेन्नई) में खुला. यह वो दौर था जब देश में कई योजनाओं और बदलावों को लागू करने की तैयारी की जा रही थी. टैक्स सिस्टम में सुधार लाने की कोशिश हो रही थी. देश में पैसों का फ्लो भी बढ़ रहा था. इसलिए आर्थिक धोखाधड़ी को रोकने के लिए ईडी की नींव पड़ी.

कौन होता है मुखिया?

शुरुआती दौर में ईडी को संभालने को काम डायरेक्टर का होता था. इन्हें असिस्ट करने के लिए रिजर्व बैंक से डेपुटेशन पर एक अधिकारी भेजा जाता था. इसके बाद स्पेशल पुलिस के तीन इंस्पेक्टर भी ईडी की टीम का हिस्सा होते थे. वर्तमान में भी इसकी कमान एक डायरेक्टर के हाथों में है, लेकिन इनके पास एक जॉइंट डायरेक्टर और कई स्पेशल और डिप्टी डायरेक्टर हैं.

कैसे काम करती है ED?

ईडी मनी लॉन्डरिंग, भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध और विदेशी मुद्रा के नियमों को न मानने से जुड़े मामलों में कार्रवाई करती है. यह फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के तहत काम करती है. मान लीजिए थाने में कोई एक करोड़ रुपए या उससे अधिक की हेराफेरी से जुड़ा मामला पहुंचता है और पुलिस ईडी को जानकारी देती है तो ईडी एफआईआर या चार्जशीट की कॉपी लेने के बाद जांच शुरू कर सकती है. अगर ईडी को स्थानीय पुलिस से पहले जानकारी मिल जाती है तो भी जांच शुरू कर सकती है.

ईडी के पास कितने अधिकार?

ED फेमा का उल्लंघन, हवाला लेनदेन, फॉरेन एक्सचेंज में गड़बड़ी, विदेश में मौजूद संपत्ति पर कार्रवाई और विदेश में संपत्ति की खरीद के मामलों में कार्रवाई करती है. इसलिए नियमों के तहत ईडी को संपत्ति जब्त करने, छापा मारने और गिरफ्तारी का अधिकार भी है. ED के पास यह भी अधिकार है कि वो बिना आरोपी से पूछताछ किए सम्पत्ति जब्त कर सकती है. इतना ही नहीं, आरोपी की गिरफ्तारी के वक्त एजेंसी जांच का कारण बताएगी या नहीं, यह भी उसकी मर्जी पर निर्भर है. ईडी के अधिकारी का बयान अदालत में सबूत माना जाता है. ऐसे मामलों में हुई गिरफ्तारी में जल्दी जमानत मिलना मुश्किल होता है.

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