यहां IPS अफसर को प्रमोशन की जगह मिल गया डिमोशन, जानें क्या है पूरा मामला ?

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राजस्थान कैडर के 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी के खिलाफ राज्य सरकार ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए उन्हें डिमोट कर दिया है। यह राज्य के इतिहास में पहली बार है जब किसी अधिकारी को प्रमोशन देने के बजाय डिमोशन किया गया है। इस कार्रवाई का मुख्य कारण उनके पारिवारिक मामले की विभागीय जांच बताई जा रही है।

जांच के बाद हुई कार्रवाई

कुछ वर्ष पूर्व, आईपीएस पंकज चौधरी पर आरोप लगा था कि उन्होंने अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरी शादी कर ली। यह मामला न्यायालय तक पहुंचा, जहां चौधरी ने सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए साबित किया कि दूसरी शादी से पहले उन्होंने विधिवत तलाक लिया था।

उस वक्त भले ही न्यायालय ने उनके पक्ष में निर्णय दिया, जिससे वे इस मामले में बरी हो गए। इसके बावजूद, राज्य सरकार ने इस प्रकरण की विभागीय जांच जारी रखी, जिसके परिणामस्वरूप यह डिमोशन की कार्रवाई की गई।

अब इस फैसले के बाद पंकज चौधरी को लेवल 11 की वेतन श्रेणी से घटाकर लेवल 10 की कनिष्ठ वेतन श्रेणी में स्थानांतरित किया गया है। नौकरी की शुरुआत में फ्रेशर आईपीएस अधिकारियों को यही श्रेणी प्रदान की जाती है।

पंकज चौधरी का करियर और विवाद

पंकज चौधरी मूलतः उत्तर प्रदेश के वाराणसी के निवासी हैं। उन्होंने हिंदी माध्यम से यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की और इंटरव्यू में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए। अपने 12 वर्षों की सेवा में, पंकज चौधरी ने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।

 जैसलमेर में एसपी रहते हुए, उन्होंने गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट खोली थी, जो एक विवादास्पद कदम था। इसके परिणामस्वरूप, उनका तबादला बाड़मेर कर दिया गया, जिसके विरोध में जनता ने सड़कों पर प्रदर्शन भी किया था। बूंदी जिले में एसपी के रूप में, नैनवां में सांप्रदायिक हिंसा के बाद उन्हें चार्जशीट का सामना करना पड़ा।

 इसके अलावा, फरवरी 2019 में, राज्य सरकार की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था, लेकिन मई 2021 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वे बहाल हो गए।

कम्युनिटी पुलिसिंग में योगदान

पंकज चौधरी ने कम्युनिटी पुलिसिंग में नवाचार करते हुए राजस्थान पुलिस को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। उनके प्रयासों के लिए राजस्थान पुलिस को ‘डूइंग गुड फॉर भारत अवॉर्ड 2024’ से सम्मानित किया गया। उन्होंने कम्युनिटी पुलिसिंग को फील्ड वर्क का रूप देते हुए प्रदेश के विभिन्न थानों में सीएलजी सदस्यों और पुलिस मित्रों की नियुक्ति की, जिससे स्थानीय पुलिस थानों की कार्यक्षमता में वृद्धि हुई।

 

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