प्रदेश में बांग्लादेशी-रोहिंग्या नेटवर्क पर शिकंजा, DGP के निर्देश पर शुरू हुई व्यापक जांच

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उत्तर प्रदेश में फर्जी पहचान से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों पर सुरक्षा एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है। डीजीपी प्रशांत कुमार ने सभी जिलों में ऐसे घुसपैठियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। हाल ही में जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र और राज्य सरकार की ओर से खुफिया एजेंसियों को सक्रिय कर दिया गया है।

सूत्रों ने दी जानकारी 

सूत्रों के मुताबिक, इन घुसपैठियों को हवाला के जरिए विदेश से आर्थिक मदद मिल रही है। इस फंडिंग को देश के विभिन्न जिलों में मौजूद स्लीपर मॉड्यूल और सहयोगी नेटवर्क के माध्यम से भेजा जा रहा है। देवबंद (सहारनपुर) इस नेटवर्क का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है, जहां कई संदिग्ध लंबे समय तक रहे और फर्जी दस्तावेजों के जरिए पहचान बदलने में सफल रहे।

इस नेटवर्क को तोड़ने की हो रही पहचान

एटीएस ने अक्टूबर 2023 में बड़ी कार्रवाई करते हुए बांग्लादेश के मीरपुर निवासी आदिलुर्रहमान और पश्चिम बंगाल निवासी शेख नजीबुल हक व अबु हुरैरा गाजी को गिरफ्तार किया था। इनसे पूछताछ में यह पता चला कि एक संगठित गिरोह बंगाल के रास्ते बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की अवैध घुसपैठ करा रहा था। ये लोग देवबंद में भी रहे और वहीं से फर्जी पहचान बनवाने, रहने और नौकरी दिलाने का पूरा जाल फैलाया गया।

दिल्ली में संचालित एक मदरसे और एकेडमी के खातों में यूके की एक संस्था से भारी रकम ट्रांसफर होने का मामला सामने आया है। यह रकम सीधे-सीधे इन अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल की जा रही थी। अब पुलिस और जांच एजेंसियां पूरे नेटवर्क को तोड़ने के लिए राज्य भर में छापेमारी और निगरानी कर रही हैं।

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