Meerut जेल के कैदी ने लिखी ‘मेरा आईना’ किताब, पढ़कर जेल अधीक्षक ने जमकर की तारीफ

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उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्थित जिला कारागार में 21 साल से बंद कैदी रजनीश कुमार ने अपनी किताब ‘मेरा आईना’ लिखी है, जिसमें उसने अपने जीवन के उतार-चढ़ाव और संघर्षों को साझा किया है। यह किताब न केवल अपराधियों बल्कि सामान्य लोगों के लिए भी अपराध की दुनिया का आईना पेश करती है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक के अनुसार, यदि कोई अपराधी इस किताब को पढ़े, तो वह अपने अपराधी जीवन को छोड़ने पर मजबूर हो जाएगा।

अपने अनुभव को किया साझा

रजनीश कुमार का जीवन लगभग 22 साल पहले बदल गया था, जब उनकी प्रेमिका की मौत हो गई, और उसके बाद उसके परिवार के तीन सदस्यों की हत्या कर दी गई। इस मामले में रजनीश को आरोपी ठहराया गया, और उसे ट्रिपल मर्डर केस में जेल भेज दिया गया। 21 साल जेल में बिता चुके रजनीश ने अपने अनुभवों को इस किताब में संजोया है। उनकी किताब का नाम है ‘मेरा आईना’।

इस किताब की शुरुआत में रजनीश लिखते हैं, “इस पुस्तक में जो अनुभव साझा किए गए हैं, वे मैंने 21 साल जेल की सलाखों के पीछे बिताए और बहुत कष्ट झेले हैं।” उन्होंने यह किताब उन सभी लोगों को समर्पित की है, जो दूसरों के जीवन को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं।

रजनीश का मानना है कि समस्याएं सभी के जीवन में आती हैं, लेकिन उन्हें शांत दिमाग से सुलझाना जरूरी है। वह लिखते हैं, “मैं निर्दोष होते हुए भी 22 साल से जेल में हूं। जीवन में मुश्किलें आती हैं, लेकिन हमें अपने दिमाग को शांत रखना जरूरी है।” उनके अनुसार, छोटी-छोटी बातों पर गुस्से में आकर कोई भी व्यक्ति अपराध की दुनिया में कदम रख सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अपराध से बचने के लिए संयम और धैर्य की आवश्यकता है।

रजनीश ने अपनी किताब के 18 अध्यायों में जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की है। इसमें जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने के तरीकों, खुद से प्यार करने, मानसिक शक्तियों को पहचानने, और विभिन्न सामाजिक रिश्तों पर विचार किया गया है। वह जेल के अपने अनुभवों के साथ-साथ माता-पिता की भूमिका, बच्चों का अपने माता-पिता के प्रति कर्तव्य, और पति-पत्नी के रिश्तों पर भी विचार करते हैं।

प्रकाशित की गईं 300 प्रतियां

मेरठ जिला कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉ. वीरेश राज शर्मा का कहना है, “यदि कोई अपराधी इस किताब को पढ़े, तो वह अपराध से बचने की राह पर चल सकता है।” उन्होंने बताया कि रजनीश ने अपनी किताब प्रकाशित करने की इच्छा जताई थी, जिसे एक एनजीओ के माध्यम से पूरा किया गया।

शुरुआत में 300 कॉपियां प्रकाशित की गई हैं, और यह उत्तर प्रदेश की पहली किताब है, जो किसी कैदी ने लिखी है। इसे अब उत्तर प्रदेश के सभी जिला कारागारों की लाइब्रेरी में रखा जाएगा, ताकि अन्य कैदी भी इससे प्रेरणा लेकर अपने जीवन में सुधार कर सकें।

डॉ. शर्मा का मानना है कि जेल में बंद हर कैदी के अंदर कोई न कोई छिपी हुई प्रतिभा होती है। यदि उन्हें सही दिशा मिले, तो वे अपने समय को सकारात्मक तरीके से व्यतीत कर सकते हैं। रजनीश कुमार की ‘मेरा आईना’ एक ऐसी किताब है, जो अपराध की अंधेरी दुनिया से बाहर निकलने का मार्गदर्शन करती है और जीवन में सुधार की दिशा दिखाती है।

 

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